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लद्दाख क्षेत्र पर चीन का दावा: भारत ने जताई कड़ी आपत्ति, अवैध कब्जे को मान्यता देने से इनकार

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली:भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवाद अभी सुलझा नहीं था कि चीन ने एक बार फिर विवादित कदम उठाते हुए लद्दाख के कुछ इलाकों को अपना बताने का दावा किया है। चीन ने होतान प्रांत में दो नए काउंटियों की स्थापना की घोषणा की है, जिसमें भारत के लद्दाख के कुछ हिस्से शामिल बताए गए हैं। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए चीन को राजनयिक माध्यमों से कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

चीन के दावे पर भारत का रुख

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 3 जनवरी 2025 को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “हमने चीन द्वारा होतान प्रांत में दो नए काउंटियों की घोषणा देखी है। ये कथित काउंटियां भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के क्षेत्रों को शामिल करती हैं। भारत ने इन क्षेत्रों पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है।”

 

उन्होंने आगे कहा, “इस नए कदम से हमारी संप्रभुता के प्रति भारत के स्थायी रुख पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चीन के अवैध कब्जे को वैधता प्रदान करने का यह प्रयास भारत द्वारा पूरी तरह से खारिज किया जाता है। हमने चीन को राजनयिक माध्यमों से गंभीर विरोध दर्ज कराया है।”

 

ब्रह्मपुत्रा पर चीन का डैम प्रोजेक्ट और भारत की चिंता

इसके अलावा, चीन तिब्बत क्षेत्र में यारलुंग त्सांगपो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा डैम बना रहा है। यह नदी आगे चलकर ब्रह्मपुत्रा बनती है, जो भारत और बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण जल स्रोत है। विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने इस परियोजना पर गंभीर चिंताएं व्यक्त की हैं।

 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमने 25 दिसंबर 2024 को चीन की इस जलविद्युत परियोजना के बारे में जानकारी देखी है। यह परियोजना डाउनस्ट्रीम देशों, विशेषकर भारत और बांग्लादेश के लिए गंभीर प्रभाव डाल सकती है। हमने चीन से पारदर्शिता बरतने और इन देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने का आग्रह किया है।”

भारत ने कहा कि वह अपने जल संसाधनों और डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों के हितों की रक्षा के लिए निगरानी और आवश्यक कदम उठाना जारी रखेगा।

 

निष्कर्ष

चीन द्वारा विवादित कदम उठाने पर भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और जल संसाधनों की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। चीन के किसी भी अवैध कब्जे या परियोजना को भारत ने सख्ती से खारिज करते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी चिंताएं व्यक्त करने का रुख अपनाया है।

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