महाकुंभ 2025: धार्मिक आस्था का महासंगम, जानिए कुंभ मेलों का महत्व
न्यूज़ लहर संवाददाता
प्रयागराज: महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में 29 जनवरी 2025 से 8 मार्च 2025 तक किया जाएगा। यह आयोजन हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। महाकुंभ मेला ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर तय होता है, जिसमें सूर्य, बृहस्पति और चंद्रमा की विशेष स्थिति का ध्यान रखा जाता है। इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होकर पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
कुंभ मेलों में अंतर
हिंदू धर्म में कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ का विशेष महत्व है। इनके आयोजन की अवधि और ज्योतिषीय आधार पर इनमें अंतर किया जाता है:
1. कुंभ मेला: हर 12 वर्ष में आयोजित होता है। यह चार स्थानों—हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक—में होता है।
2. अर्ध कुंभ मेला: यह कुंभ मेला के मध्य, यानी हर 6 वर्ष में इन्हीं स्थानों पर आयोजित किया जाता है।
3. पूर्ण कुंभ मेला: यह हर 12 वर्ष में तब होता है, जब बृहस्पति और सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं।
4. महा कुंभ मेला: यह आयोजन हर 144 वर्ष में होता है, जब बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा कुंभ राशि में होते हैं। इसे सबसे दुर्लभ और महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाकुंभ 2025 की शाही स्नान तिथियां
महाकुंभ 2025 के दौरान पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों की तिथियां इस प्रकार हैं:
13 जनवरी: पौष पूर्णिमा
14 जनवरी: मकर संक्रांति
29 जनवरी: मौनी अमावस्या
3 फरवरी: वसंत पंचमी
4 फरवरी: अचला सप्तमी
12 फरवरी: माघ पूर्णिमा
8 मार्च: महाशिवरात्रि
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ मेला धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह आयोजन श्रद्धालुओं को आत्मशुद्धि, पुण्य अर्जन और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर प्रदान करता है। लाखों साधु, संत, और श्रद्धालु इस पवित्र अवसर पर संगम के तट पर स्नान करते हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
महाकुंभ की भव्यता
महाकुंभ 2025 का आयोजन भव्य और व्यवस्थित होगा। प्रयागराज में सुरक्षा, यातायात और श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है। प्रशासन का लक्ष्य है कि हर श्रद्धालु को इस धार्मिक आयोजन का पवित्र अनुभव मिल सके।