झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ ने शिक्षा मंत्री को भ्रष्टाचार के खिलाफ सौंपा ज्ञापन
न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची: झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद ताहिर हुसैन के नेतृत्व में राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से उनके निवास स्थान पर मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया और झारखंड में वित्त रहित शिक्षा समाप्त कर वित्तीय सहायता वाली शिक्षा लागू करने की ऐतिहासिक पहल के लिए साधुवाद दिया।
प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री को झारखंड अधिविद्य परिषद् (जैक) के अध्यक्ष अनिल कुमार महतो पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों से अवगत कराया। उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजकर परिषद के अध्यक्ष के विवादास्पद कार्यकाल की जांच की मांग की।
अध्यक्ष पर लगे गंभीर आरोप:
पत्र में आरोप लगाया गया है कि अनिल कुमार महतो ने अपने कार्यकाल के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया और परिषद के कार्यों को अपारदर्शी बना दिया।
डाटा सेंटर पर नियंत्रण: गोपनीय शाखा को दरकिनार कर परिषद के डाटा सेंटर का एकाधिकार अपने करीबी सहयोगी कुणाल प्रताप सिंह को सौंपा।
आउटसोर्स कर्मी को स्थायी नियुक्ति: बिना उचित प्रक्रिया के आउटसोर्स कर्मी को स्थायी कर, पुराने कर्मियों की अनदेखी की।
छात्र शोषण: पंजीयन और परीक्षा शुल्क में बेतहाशा वृद्धि की, जिससे गरीब छात्र अपनी पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हुए।
परिणाम में हेरफेर: परीक्षा परिणामों और अभिलेखों में छेड़छाड़ के साक्ष्य प्रस्तुत किए गए।
अभ्यर्थियों का अवैध पंजीयन: बिना मान्यताप्राप्त परीक्षाओं के छात्रों को सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल करवाया।
शिक्षा की गुणवत्ता पर असर:
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि श्री महतो के कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वर्ग-8 और वर्ग-9 की परीक्षाएं एक ही दिन में आयोजित की जा रही हैं, और विषय संरचना में बार-बार बदलाव किया जा रहा है।
जांच और कार्रवाई की मांग:
संघ ने सरकार से मांग की है कि श्री महतो के कार्यकाल की स्वतंत्र इकाई से जांच कराई जाए और प्रमाणित होने पर कठोर कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, परिषद के अध्यक्ष पद पर किसी ईमानदार शिक्षाविद् को नियुक्त करने की मांग की गई।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्य:
संघ के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद ताहिर हुसैन, मिथिलेश प्रसाद श्रीवास्तव, शिव प्रकाश शर्मा, उदय शंकर पाठक और अन्य सदस्यों ने इस विषय पर शिक्षा मंत्री से विस्तृत चर्चा की।
यह बैठक राज्य में शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है।