मकर संक्रांति पर दोमुहानी संगम घाट पर भव्य स्वर्णरेखा महाआरती का आयोजन, 50,000 से अधिक श्रद्धालु हुए शामिल
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड।जमशेदपुर में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर दोमुहानी संगम घाट पर गंगा की तर्ज पर भव्य स्वर्णरेखा महाआरती का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ स्वर्णरेखा नदी की आरती की गई, जिसमें 50,000 से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। यह आयोजन हिंदू उत्सव समिति और उम्मीद एक अभियान के संयुक्त प्रयास से संभव हुआ।
विधायक सरयू राय समेत कई गणमान्य लोग रहे उपस्थित
महाआरती में पूर्वी विधानसभा के विधायक सरयू राय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी और अन्य प्रमुख गणमान्य लोग भी शामिल हुए। महाआरती का आयोजन भव्य स्तर पर किया गया, जिसमें नदी के घाट को आकर्षक तरीके से सजाया गया और श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं।
गंगा के तर्ज पर पहली बार स्वर्णरेखा की महाआरती
महाआरती के आयोजक रवि सिंह ने कहा, “यह पहली बार है जब गंगा की तर्ज पर स्वर्णरेखा नदी की महाआरती का आयोजन किया गया। इस पहल का उद्देश्य स्वर्णरेखा नदी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा देना है। महाआरती में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए और इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाने में अपना सहयोग दिया।”
श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति का माहौल
महाआरती के दौरान श्रद्धालुओं में उत्साह देखते ही बनता था। सभी ने दीप प्रज्वलित कर स्वर्णरेखा नदी की आरती में भाग लिया। घाट पर धार्मिक भजनों और मंत्रोच्चार का गूंजता स्वर भक्तिमय वातावरण बना रहा। श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई थी।
आयोजन की विशेषताएं
दोमुहानी संगम घाट पर आकर्षक सजावट और विशेष लाइटिंग की व्यवस्था।
साउंड सिस्टम और भजन मंडलियों के माध्यम से भक्तिमय माहौल तैयार किया गया।
श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
स्थानीय युवाओं और स्वयंसेवी संगठनों ने भीड़ प्रबंधन में सहयोग दिया।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को बढ़ावा देने की पहल
यह महाआरती न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आयोजनकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के आयोजन से स्वर्णरेखा नदी की पवित्रता और संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
भविष्य में भी आयोजन का होगा विस्तार
आयोजकों ने बताया कि हर साल इस तरह के आयोजन को और बड़े स्तर पर किया जाएगा, ताकि स्थानीय लोगों और पर्यटकों को एक साथ जोड़कर स्वर्णरेखा नदी के महत्व को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई जा सके।
महाआरती का यह आयोजन जमशेदपुर के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक नई परंपरा के रूप में दर्ज हो गया है।