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1992 में कोलकाता से शुरू हुआ भिंटेज कार रैली का सफर, 31वीं बार ट्रॉफी जीतने में सफल रहा ORM 108* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: “दि स्टेटसमैन भिंटेज एंड क्लासिक कार रैली” में भाग लेने वाली पहली भिंटेज कार, 1992 में कोलकाता से भेजी गई ORM 108, ने रैली में नियमों का पालन करते हुए सफलता की नई मिसाल कायम की थी। 1992 में पहली बार भाग लेने के दौरान, यह 1933 की बनी ब्रिटिश मेक की आस्टीन सेवन, सात हार्स पावर की चार सिलेंडर वाली कार, निर्धारित रूट पर निर्धारित गति से दौड़ते हुए सभी जांच बिंदुओं पर चेक और साइन करवाकर रैली पूरी की थी। इसके परिणामस्वरूप, यह कार “इंडियन आयल ट्रॉफी” जीतने में सफल रही और इस सफलता का सिलसिला आज भी जारी है।

आज, 19 जनवरी 2025 को, इस कार ने 31वीं बार ट्रॉफी हासिल की है। यह कार अब भी एक लीटर पेट्रोल में 14-15 किलोमीटर की दूरी तय करती है। कार के ब्रेक मेकेनिकल सिस्टम पर आधारित हैं और यह 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती है।

वर्ष 1991 में, इस भिंटेज कार को उड़ीसा के बारीपदा शहर से गुरमुख सिंह खोखर ने खरीदी थी। कार पहले बहुत ही सड़ी-गली हालत में थी, लेकिन इसके मालिक ने इसे पूरी तरह से नया रूप दिया। मयुरभंज के महाराजा निमाई चंद्र भंजदेव की यह कार,

 

जिन्हें लोग ‘लाल साहब’ के नाम से भी जानते थे, को पूरी तरह से मेकेनिकल काम, बाडी रेस्टोरेशन, रंगाई और सीटों का काम करवाया गया था। नए टायर भी फिट किए गए और इसके बाद यह कार रोड पर पूरी तरह से चलने लायक हो गई।

इस भिंटेज कार का इतिहास न केवल एक कार की रेसिंग यात्रा का वर्णन करता है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक धरोहर को पुनः जीवित करने की कहानी भी है, जो आज भी अपने ऐतिहासिक गौरव को बनाए हुए है।

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