टाटा स्टील विजय टू खदान में मजदूरों का आर्थिक नाकाबंदी आज दुसरे दिन भी जारी, प्रबंधन नहीं पहुंची मजदूरों से वार्ता करने
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:गुवा में टाटा स्टील की विजय-टू लौह अयस्क खदान में 23 जनवरी की सुबह 5 बजे से लेकर आज दुसरे दिन 24 जनवरी को झारखण्ड मजदूर यूनियन के सैकड़ों मजदूरों ने उत्पादन व माल ढुलाई कार्य अनिश्चितकाल के लिये ठप कर दिया है। आंदोलन में शामिल मजदूरों ने खदान के सुरक्षा गार्डो तथा आवश्यक सेवा जैसे एम्बुलेंस, भोजन, पानी, डीजी चलाने हेतु डीजल आदि को मुक्त रखा है। आर्थिक नाकेबंदी के दौरान टाटा स्टील अथवा इनके अधीन कार्यरत तमाम वेंडरों के एक भी अधिकारी व कर्मचारी को खदान के अंदर जाने नहीं दिया गया है। प्रथम पाली के बाद द्वितीय एवं रात्रि पाली में भी यहीं स्थिति रहने वाली है। इस खदान से लौह अयस्क का एक टुकड़ा उत्पादन व ढुलाई आज नहीं हो पाया है।
आंदोलन स्थल पर किरीबुरु एसडीपीओ अजय केरकेट्टा, जगन्नाथपुर एसडीओ महेंदर छोटन उरांव, किरीबुरू इन्स्पेक्टर बमबम कुमार, गुवा थाना प्रभारी नीतीश कुमार के अलावे भारी संख्या में पुलिस बल विधि-व्यवस्था को ठीक रखने हेतु मौजूद है। यूनियन के अध्यक्ष दिनबंधु पात्रों ने बताया की टाटा स्टील प्रबंधन उनकी 14 सूत्री मांगों को पूरा नहीं कर रही है। पिछले दो साल से हम अपनी मांगों को लेकर कंपनी प्रबंधन से आग्रह करते आ रहे हैं। 23 जनवरी सुबह से हम आर्थिक नाकेबंदी कर रहे हैं लेकिन शाम तीन बजे तक कंपनी का कोई भी पदाधिकारी हमसे एक परिवार का सदस्य के नाते भी हमारी सुधी लेने नहीं आया। सिर्फ पुलिस पदाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी ही वार्ता करने पहुंची है। कंपनी हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं ले, क्योंकि हम सभी महीनों तक यहाँ 24 घंटे आंदोलन करते रहने को तैयार हैं। जबतक हमारी मांगे नहीं मानी जाती है तबतक हम यहाँ से हटने वाले नहीं हैं। तीनों पाली का उत्पादन व माल ढुलाई शत फीसदी बंद है। यहां तक की रात में हम लोग टेंट लगाकर जंगल में रात बिता रहे हैं। अगर ऐसी स्थिति में हमारे एक भी मजदूरों को जंगली जानवरों के कारण मौत हो गई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी टाटा स्टील प्रबंधन की होगी। टाटा स्टील की विजय-टू खदान में प्रतिदिन लगभग 6 हजार टन लौह अयस्क का उत्पादन व लगभग 4 हजार टन लौह अयस्क का प्रेषण किया जाता है। जैसे जैसे आंदोलन आगे बढ़ेगा वैसे वैसे कंपनी प्रबंधन को नुकसान का ग्राफ भी बढ़ता जायेगा। झारखण्ड मजदूर यूनियन ने जो मांगे प्रबंधन पास रखी है उसमे 100 स्थानीय ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को स्थायी रोजगार देना, लंबे समय से कार्यरत स्थानीय मजदूरों का स्थायीकरण करना, मजदूरों को मेडिकल जांच में अनफिट पाये जाने पर कम्पनी-वेंडर द्वारा ईलाज कराके दुबारा काम पर रखना, कम्पनी एवं ठेकेदार के अधिन कार्यरत मजदूरों को ई.एस.आई चिकित्सा सुविधा का लाभ देना, सभी ठेका मजदूरों को योग्यतानुसार सही वेतन देना, सभी ठेका मजदूरों को 20 प्रतिशत बोनस एवं डस्ट एलाउंस एक समान मिलना चाहिए, मजदूर की मृत्यु हो जाने पर उसका बेटा या पत्नी को नौकरी देना, कार्यस्थल में दुर्घटना होने पर मेडिकल सुविधा एवं वेतन भुगतान जारी रखना, मजदूर का मृत्यु या सेवानिवृत्त होने पर उनको उचित राशि देना, ठेका मजदूरों को नियुक्ति पत्र देना, कम्पनी और ठेका मजदूरों के लिए कैन्टीन की सुविधा, जब भी ठेकेदार बदली होता है तो 45 से 90 दिन के अन्दर फूल एवं फाइनल राशि का भुगतान होना, 5 साल काम करने पर ग्रेच्युटी मिलना, यदि मजदूर अपने कार्यकाल में गंभीर बिमारी से ग्रसित होता है तो उसके घरवालों को नौकरी देना आदि मांगे शामिल है। आंदोलन स्थल पर हीं मजदूर खाना बना व खा रहे हैं। रात में तंबू लगाकर जंगल के बीच आंदोलन स्थल पर हीं सोयेंगे। आपस में चंदा कर सारे मजदूर खाद्य सामग्री खरीदे हुये हैं। पानी टेंकर व अन्य व्यवस्था पहले से करके रखा हुआ है।
इस मौके पर झारखण्ड मजदूर यूनियन के कोल्हान प्रमंडल उपाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद मोहंती, जिलाध्यक्ष आशीष कुदादा, उपाध्यक्ष करनेश जेराई, महासचिव राजेन्द्र चाम्पिया, बराईबुरु इकाई के अध्यक्ष दिनबंधू पात्रो, महासचिव दुलाल चाम्पिया, उपाध्यक्ष परमेश्वर बुरमा, पूर्व जीप सदस्य बामिया माझी, मधु सिधु, लखन चाम्पिया, बागी चाम्पिया, सुखराम सिधु, सादो देवगम, कमल बुरमा आदि के अलावे गुवा व किरीबुरु इकाई के पदाधिकारी तथा सारंडा के विभिन्न गांवों के सैकड़ों ग्रामीण व महिलाएं पारम्परिक हथियारों से लैश मौजूद हैं।