अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन
न्यूज़ लहर संवाददाता
अयोध्या: राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और पूर्व MLC सदस्य कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया है. जानकारी के मुताबिक, कामेश्वर का निधन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल में हुआ. वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. बता दें कि कामेश्वर चौपाल ने ही राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने कामेश्वर चौपाल को प्रथम कार सेवक का दर्जा भी दिया था.
कामेश्वर चौपाल वह शख्स हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के लिए नींव की पहली ‘राम शिला’ (ईंट) रखी थी. उस समय में वह विश्व हिंदू परिषद (VHP) के स्वयंसेवक थे. वह बिहार के सुपौल के रहने वाले थे.
1989 में जब राम मंदिर के लिए पहली ‘राम शिला’ (ईंट) रखी जानी थी, उस वक्त कामेश्वर चौपाल को ही चुना गया था, क्योंकि वह राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे थे. साल 1991 में बीजेपी का सदस्य बनने के लिए उन्होंने विश्व हिंदू परिषद (VHP) को छोड़ दिया था.
पार्टी ने उन्हें संसदीय चुनाव लड़वाया, जिसमें वह हार गए थे. साल 2014 में दूसरी बार चुनाव हार गए. हालांकि, वह दो बार 2002 से 2014 तक राज्यसभा सदस्य रहे हैं. कामेश्वर चौपाल (VHP) 1982 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सदस्य बने थे.
उन्हें 1989 में गया में मुख्यालय के साथ अपना राज्य प्रभारी बनाया गया था. वहीं से वह राम मंदिर के लिए ‘राम शिला’ (ईंट) अयोध्या तक लेकर गए थे. हर गांव ने राम मंदिर के निर्माण के लिए ईंट और 1 रुपये 25 पैसे दक्षिणा के रूप में दिए थे.
कामेश्वर चौपाल ने दिया था रोटी के साथ राम का नारा
कामेश्वर चौपाल ही वह शख्स हैं, जिन्होंने रोटी के साथ राम का नारा दिया था. 1989 में 9 नवंबर को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में कामेश्वर चौपाल ने ही पहली ईंट रखी थी. कामेश्वर चौपाल वहां विश्व हिंदू परिषद के बिहार के सह संगठन मंत्री के नाते अयोध्या में मौजूद थे. तब पहले से तय किए गए फैसलों के मुताबिक धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल को शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने को कहा था.
हालांकि चौपाल इस बात से बिल्कुल अनजान थे. उस वक्त कामेश्वर चौपाल ने बताया था कि हालांकि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि धर्मगुरुओं ने किसी दलित से ईंट रखवाने का फैसला लिया है. लेकिन वे खुद होंगे, यह उनके लिए संयोग रहा. शिलान्यास कार्यक्रम में ईंट रखने के बाद से कामेश्वर चौपाल का नाम पूरे देश में छा गया.
मधुबनी से हुई थी कामेश्वर चौपाल की पढ़ाई-लिखाई
बता दें, कामेश्वर चौपाल ने अपनी पढ़ाई-लिखाई मधुबनी जिले से की थी. यहीं वे संघ के संपर्क में आए थे. उनके एक अध्यापक संघ के कार्यकर्ता हुआ करते थे. संघ से जुड़े उसी अध्यापक की मदद से कामेश्वर को कॉलेज में दाखिला मिला था. स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही वे संघ के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो चुके थे. इसके बाद उन्हें मधुबनी जिले का जिला प्रचारक बना दिया गया था.