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मुसीबत को उपहार के रूप में स्वीकार करना होगा तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

 

झारखंड:जमशेदपुर में आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आनंद मार्ग जागृति गदरा में नीलकंठ दिवस मनाया गया इस अवसर पर 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम् “अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया आज ही के दिन 1973 को आनंद मार्ग के संस्थापक गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी को बिहार के पटना बांकीपुर सेंट्रल जेल में इंदिरा की तानाशाही कांग्रेस सरकार के द्वारा चिकित्सा के नाम पर दवा के रूप में जहर दिया गया था इसका असर पूरे शरीर पर प्रकृति के अनुकूल पड़ा श्री श्री आनंदमूर्ति जी के पूरे शरीर सिकुड़ गई आंखों की रोशनी चली गई

सर के बाल उड़ गए सभी दांत झड़ गए उसके बावजूद भी गुरु श्री श्री आनंद मूर्ति जी जीवित रहे आज के दिन आनंद मार्गी पूरे विश्व में नीलकंठ दिवस के रूप में मनाते हैं इस ऐतिहासिक दिन के अवसर पर आनंद मार्ग के संस्थापक के जीवन के विषय में चर्चा करते हुए आचार्य नभतीतानंद अवधूत ने कहा कि श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने विष का पान कर दुनिया को यह बतला दिया कि दुनिया मे कितनी कड़ी से कड़ी मुसीबत आए उसका का सामना हर नैतिकवान पुरुष को करना होगा ना कि मैदान छोड़कर भाग जाना होगा

मुसीबत को उपहार के रूप में स्वीकार करना होगा तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है सुख और दुख दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जहां सुख है वहां दुख भी है

केवल सुख रहने से ही जीवन का अनुभव कभी नहीं हो सकता दुख का आना भी मनुष्य के जीवन में जरूरी है क्योंकि इससे मनुष्य को तथा आने वाली पीढ़ी को मुसीबत का सामना कैसे किया जाए

सीखने का मौका मिलता है इस अवसर पर जागृति में लगभग 300 नारायणो को भोजन कराया गया ,100 फलदार वृक्ष का वितरण एवं 100 साड़ी एवं धोती का वितरण किया गया।

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