लोको पायलटों की शिकायतों के समाधान की मांग को लेकर 36 घंटे का राष्ट्रव्यापी उपवास
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न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर सहित अन्य क्षेत्रों में रेल मंत्रालय द्वारा लोको पायलटों की शिकायतों के समाधान में सौतेले रवैये के विरोध में देशभर के लोको पायलटों ने 20 फरवरी 2025 को सुबह 8 बजे से 21 फरवरी 2025 को शाम 8 बजे तक 36 घंटे का उपवास रखने का निर्णय लिया है।
लोको पायलटों का कहना है कि उनकी ड्यूटी अन्य रेलवे कर्मचारियों की तुलना में अधिक है। जहां अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी 8 घंटे निर्धारित है, वहीं लोको पायलटों को 11 घंटे या उससे अधिक समय तक कार्य करना पड़ता है। मालगाड़ियों के लोको पायलटों को 12 से 20 घंटे तक लगातार काम करना पड़ता है।
संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों के बावजूद ड्यूटी घंटे 8 घंटे तक नहीं किए गए हैं, और रेलवे सेवक (काम के घंटे और आराम की अवधि) नियम 2005 का पालन नहीं किया जा रहा है।
रात्रिकालीन ड्यूटी को लेकर भी असमानता है। हाई-पावर कमेटी-2016 ने लगातार रात की ड्यूटी को दो रात तक सीमित करने की सिफारिश की थी, लेकिन रेलवे ने इसे लागू नहीं किया। अन्य रेलवे कर्मचारियों को एक रात की ड्यूटी दी जाती है, जबकि लोको पायलटों को लगातार 4 रातों तक ड्यूटी करनी पड़ती है।
पर्याप्त विश्राम की कमी भी लोको पायलटों की प्रमुख शिकायतों में से एक है। अन्य रेलवे कर्मचारियों को 16 घंटे का दैनिक आराम और 30 घंटे का साप्ताहिक विश्राम मिलता है, लेकिन लोको पायलटों को यह सुविधा नहीं दी जा रही है, जिससे उनकी थकान और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ रही है। उच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में आदेश दिया है, लेकिन रेलवे ने इसे लागू नहीं किया।
लोको पायलटों का यह भी कहना है कि उनके काम का प्रभाव उनके पारिवारिक जीवन पर भी पड़ता है। जहां अन्य रेलवे कर्मचारी प्रतिदिन अपने परिवार के पास लौट सकते हैं, वहीं लोको पायलटों को 3-4 दिनों के बाद ही घर जाने का अवसर मिलता है। इससे उनके पारिवारिक जीवन, बच्चों की शिक्षा और कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
इसके अलावा, लोको पायलटों के भत्तों की भी अनदेखी की जा रही है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अन्य केंद्रीय कर्मचारियों के भत्ते 25% बढ़ाए गए, लेकिन लोको पायलटों का माइलेज भत्ता अब तक नहीं बढ़ाया गया। आयकर नियमों के तहत सरकारी कर्मचारियों के यात्रा/दैनिक भत्ते पर कर छूट मिलती है, लेकिन लोको पायलटों को यह लाभ आंशिक रूप से ही दिया जा रहा है।
रेलवे में स्टाफ की भारी कमी भी लोको पायलटों की समस्याओं को बढ़ा रही है। रेलवे के 14 लाख स्वीकृत पदों में से 3.2 लाख खाली हैं। लोको पायलटों के 1,32,000 स्वीकृत पदों में से 22,000 (16.6%) पद खाली हैं। स्टाफ की इस भारी कमी के कारण बीमार लोको पायलटों को भी ट्रेन संचालन के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
लोको पायलटों की शिकायतों को जुलाई 2024 में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के माध्यम से रेल मंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद रेल मंत्री ने दो उच्च स्तरीय समितियों का गठन किया, लेकिन अब तक कोई रिपोर्ट या सिफारिश प्रस्तुत नहीं की गई। लोको पायलटों का आरोप है कि रेल मंत्रालय समस्या के समाधान के बजाय केवल समिति बनाकर कर्मचारियों को शांत करने का प्रयास करता है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए, लोको पायलटों ने गांधीवादी तरीके से 36 घंटे के राष्ट्रव्यापी उपवास का निर्णय लिया है। यह उपवास उन सभी लोको पायलटों द्वारा रखा जाएगा, चाहे वे ड्यूटी पर हों या ऑफ ड्यूटी में, ताकि सरकार उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई करे।