वकीलों की आजादी पर हमला: अधिवक्ताओं ने किया विरोध प्रदर्शन
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न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ बोकारो के अधिवक्ताओं ने कोर्ट परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। वकीलों ने एकजुट होकर इस विधेयक को वापस लेने की मांग की और इसे वकीलों के अधिकारों पर हमला करार दिया।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स के नेशनल काउंसिल मेंबर अधिवक्ता रणजीत गिरि ने अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब सरकार वकीलों पर हो रहे हमलों और अपराधों को रोकने में असफल रही, तो अब उसने वकीलों को ही रोकने का फैसला कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक न केवल वकीलों की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की स्वायत्तता को भी कमजोर करता है।
विधेयक के प्रमुख विवादास्पद प्रावधान:
1. हड़ताल और बहिष्कार पर रोक: वकीलों द्वारा न्यायालयों के बहिष्कार और हड़ताल करने पर रोक लगाने का प्रावधान।
2. अनुशासनात्मक कार्रवाई और निलंबन: वकीलों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत निलंबन का प्रावधान।
3. BCI की स्वायत्तता पर खतरा: बार काउंसिल ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार द्वारा नामित सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान।
4. विदेशी कानूनी फर्मों की अनुमति: भारतीय कानून क्षेत्र में विदेशी कानूनी फर्मों के प्रवेश की अनुमति।
5. वकीलों पर मुवक्किल को मुआवजा देने की जिम्मेदारी: वकीलों को अपने मुवक्किल को मुआवजा देने के लिए बाध्य किया जाएगा।
6. भारी जुर्माने का प्रावधान: वकीलों पर 3 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
7. झूठी शिकायतों पर सुरक्षा नहीं: झूठी शिकायतों के मामले में वकीलों को कोई सुरक्षा नहीं दी गई है।
8. सरकारी गुलामी की साजिश: सरकार वकीलों की स्वतंत्रता छीनकर उन्हें अपने नियंत्रण में रखना चाहती है।
वकीलों की एकजुटता और विरोध का संकल्प:
रणजीत गिरि ने कहा कि आज भी सरकारी नीतियों, गलत कानूनों और अत्याचारों के खिलाफ वकील ही आवाज उठाते हैं। सरकार इस विधेयक के जरिए वकीलों की संविधान प्रदत्त स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19 और 21) पर हमला कर रही है। यदि यह विधेयक लागू हो जाता है, तो वकीलों की भूमिका कमजोर हो जाएगी और न्याय प्रणाली पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख अधिवक्ता:
इस विरोध प्रदर्शन में अतुल कुमार, सुनील कुमार, दीपक कुमार, मोहन लाल ओझा, उमाकांत पाठक, राजेश कुमार, सुनील राजहंस, श्याम कुमार चौबे, श्याम मिश्रा, चंद्रशेखर कुमार, पंकज दरद, सुरेंद्र साह, धनंजय लायक, जितेंद्र कुमार महतो, अंकित ओझा, संजीत कुमार सिंह, अमर देव सिंह, फटिक चंद्र सिंह, करुणा कुमारी, दीप्ति कुमारी, मोहम्मद अंसार, गोपाल सिंह, डी पी मंडल, संतोष सिंह, खुर्शीद आलम, अनंत पांडेय, विष्णु प्रसाद नायक, रंजन कुमार मिश्रा, नितीश नंदी, राज श्री, वंशिका सहाय, दीप्ति सिंह, रीना कुमारी, राणा प्रताप शर्मा, विजय कुमार, अजीत ठाकुर, अमरेश कुमार, ओम प्रकाश लाल, अखिलेश कुमार और मो. हसनैन आलम समेत सैकड़ों अधिवक्ता उपस्थित थे।
निष्कर्ष:
वकीलों ने इस विधेयक को न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि यह विधेयक पारित हुआ, तो वे देशव्यापी आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।