साहित्य शिखर सम्मान से नवाजे गये हो साहित्यकार डोबरो बुड़ीउली*
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न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:चाईबासा में हो भाषा साहित्यकार डोबरो बुड़ीउली को एक बार फिर साहित्यिक सम्मान से नवाजा गया है। 21 फरवरी को रांची में अखिल झारखंड साहित्य अकादमी की ओर से उनको उनकी सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति ‘हो हयम सिविल दुरंग’ के लिये ‘साहित्य शिखर सम्मान-2025’ से नवाजा गया। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में रांची प्रेस क्लब में आयोजित झारखंड साहित्य पुरस्कार- 2025 समारोह में उनको इस उपलब्धि के लिये सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो व नगद राशि भी प्रदान किया गया।
ज्ञात हो कि डोबरो बुड़ीउली ने टाटा कॉलेज से बीए की पढ़ाई दर्शनशास्त्र प्रतिष्ठा (ऑनर्स) के साथ पूरी की है, जबकि मास्टर डिग्री (एमए) उन्होंने हो भाषा साहित्य विषय में लिया है। सदर प्रखंड के बरकुंडिया गांव के रहनेवाले 54 वर्षीय डोबरो बुड़ीउली हो साहित्य के पहले कवि हैं जिनके नाम हो भाषा में 800 से अधिक कविताएं लिखने का रिकॉर्ड है। साथ ही उन्होंने कई हो साहित्यिक पुस्तकें भी लिखी है। इसके पहले भी साहित्य में बहुमूल्य योगदान के लिये डोबरो को कई बार विभिन्न साहित्यिक संगठनों की ओर से सम्मानित किया चुका है।
*रांची से लौटने पर तांबो में हुआ स्वागत*
साहित्य शिखर सम्मान के साथ रांची से चाईबासा लौटने पर साहित्य प्रेमियों ने फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया। तांबो चौक पर आयोजित इस स्वागत कार्यक्रम में हो साहित्यकार तिलक बारी, कवि दाशराय कुदादा,
विश्वनाथ तामसोय, शिक्षक वासुदेव सिंकू, बागुन बोदरा, केरसे देवगम, पूनम कुदादा, सीता कुदादा, सुमन पुरती, कृष्ण दिग्गी, श्याम कुदादा, रॉबिन देवगम, रामू बोदरा, शांति बुड़ीउली आदि मौजूद थे।