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फाइलेरिया उन्मूलन अभियान: जागरूकता और दवा वितरण पर ज़ोर

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड।पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन द्वारा संचालित फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की समीक्षा जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल ने समाहरणालय सभागार में की। बैठक में उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान, सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बैठक के दौरान उपायुक्त ने अभियान को और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए, ताकि कोई भी नागरिक इस अभियान से वंचित न रहे।

लक्ष्य और अभियान की प्रगति

 

जिले के चार प्रखंड – बोड़ाम, पटमदा, पोटका, गोलमुरी एवं जुगसलाई तथा पूरे शहरी क्षेत्र में 18 लाख 27 हजार 932 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है।

11 फरवरी से स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग और पांच गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की टीम घर-घर जाकर अल्बेंडाजोल और डीईसी दवा का वितरण कर रही है। इस अभियान के तहत दवा सेवन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर भी वितरण किया जा रहा है।

दवा सेवन के प्रति नागरिकों को जागरूक करने के निर्देश

 

जिला दंडाधिकारी ने निर्देश दिया कि कई नागरिक दवा लेने से बचते हैं, उन्हें इसके महत्व और फाइलेरिया से होने वाली जटिलताओं के बारे में जागरूक किया जाए। उन्होंने आवासीय सोसायटी के पदाधिकारियों से संपर्क कर दवा वितरण को सुनिश्चित करने को कहा। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यस्थल पर व्यस्त नागरिकों के लिए उनके घरों में दवा पहुंचाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।

 

साथ ही, मॉनिटरिंग टीम को सक्रिय रखते हुए औचक निरीक्षण करने को कहा गया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दवा का वितरण ठीक से किया गया है।

 

सभी नागरिकों की भागीदारी से ही सफलता संभव

 

जिला उपायुक्त ने सिविल सोसाइटी, सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं, व्यापारिक संगठनों और प्रेस प्रतिनिधियों से अपील की कि वे नागरिकों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयासों से ही जिले से फाइलेरिया को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।

 

फाइलेरिया: एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या

 

फाइलेरिया, जिसे हाथी पांव के नाम से जाना जाता है, मच्छरों के काटने से फैलता है। यह बीमारी शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है, जिनमें हाथ, पैर, स्तन और हाइड्रोसील शामिल हैं। संक्रमण बचपन में ही हो सकता है, लेकिन लक्षण प्रकट होने में 5 से 15 साल तक लग सकते हैं।

 

इस बीमारी के कारण प्रभावित व्यक्तियों को सामाजिक उपेक्षा का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उन्हें सहायता और करुणा की आवश्यकता होती है। झारखंड में चार करोड़ लोगों को इस बीमारी का खतरा है, इसलिए समय रहते दवा का सेवन आवश्यक है।

 

फाइलेरिया से बचाव के लिए आवश्यक दिशानिर्देश

 

साल में केवल एक बार फाइलेरिया रोधी दवा लेना अनिवार्य है।

 

दो साल से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को यह दवा नहीं देनी है।

 

दवा खाली पेट नहीं खानी चाहिए।

 

सभी दवाओं का सेवन एक साथ करना आवश्यक है।

 

दवा सेवन के बाद कुछ लोगों को सिरदर्द, उल्टी, चक्कर, बुखार या दस्त जैसी हल्की परेशानियां हो सकती हैं। यह संकेत है कि शरीर में मौजूद फाइलेरिया के कीड़े मर रहे हैं, जिससे घबराने की जरूरत नहीं है।

 

 

जनसहयोग से फाइलेरिया मुक्त झारखंड का संकल्प

 

इस अभियान की सफलता जनसहयोग पर निर्भर है। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे दवा का सेवन करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें, ताकि जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाया जा सके।

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