झारखंड मूलवासी अधिकार मंच ने टाटा कंपनी के भूमि अधिग्रहण और लीज नवीनीकरण के खिलाफ किया प्रदर्शन
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न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर में झारखंड मूलवासी अधिकार मंच ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार को जिला मुख्यालय के समक्ष धरना दिया। मंच के मुख्य संयोजक हरमोहन महतो के नेतृत्व में संगठन के प्रतिनिधियों ने अपर उपायुक्त सह प्रभारी पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम को एक मांग पत्र सौंपा।
मांग पत्र में संगठन ने आरोप लगाया कि टाटा कंपनी ने 18 मौजा के आदिवासी और मूलवासी समुदायों की भूमि का अधिग्रहण बिना उनकी सहमति और राज्यपाल की अनुमति के किया है। संगठन ने 1996 में किए गए खतियान सर्वे को रद्द करने और 1908 तथा 1937 के खतियान को मान्यता देने की मांग की। मंच का कहना है कि 1996 के सर्वे में भूमि अधिग्रहण कानून और सीएनटी एक्ट का उल्लंघन किया गया था, जिससे मूलवासियों और आदिवासियों के भूमि अधिकार प्रभावित हुए हैं।
संगठन ने सरकार से 2005 में किए गए टाटा लीज नवीनीकरण की समीक्षा करने की मांग की, यह आरोप लगाते हुए कि तत्कालीन सरकार ने लीज शर्तों का उल्लंघन कर राज्य के राजस्व को नुकसान पहुंचाया था। मंच ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना रैयतों की सहमति और भूमि सर्वेक्षण किए बिना कोल्हान में किसी भी प्रकार की लीज नवीनीकरण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ाई जानी चाहिए।
इसके अलावा, संगठन ने मांग की कि लीज नवीनीकरण कमेटी में रैयतों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए ताकि उनके हितों और अधिकारों की रक्षा हो सके। झारखंड में भू-सुधार प्रक्रिया को तेज करने और रैयतों की भूमि की उचित पहचान और सर्वेक्षण करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया, ताकि विस्थापित लोगों के अधिकार सुरक्षित रहें और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सके।
झारखंड मूलवासी अधिकार मंच ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।