टाटा से रांची के बीच हाईपरलूप: जल्द साकार होगा तेज रफ्तार यात्रा का सपना

न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची:झारखंड के लोगों के लिए टाटा से रांची के बीच हाई-स्पीड यात्रा का सपना जल्द ही हकीकत बन सकता है। भारतीय रेलवे के सहयोग से आइआइटी मद्रास द्वारा किए गए सफल हाइपरलूप परीक्षण के बाद इस परियोजना की संभावनाएं मजबूत हो गई हैं। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में टाटा स्टील भी सक्रिय भूमिका निभा रही है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो आने वाले वर्षों में झारखंड हाईपरलूप तकनीक अपनाने वाला अग्रणी राज्य बन सकता है।
आइआइटी मद्रास ने किया सफल परीक्षण
हाइपरलूप तकनीक की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए, आइआइटी मद्रास ने 422 मीटर लंबे हाइपरलूप ट्रैक पर पहली टेस्टिंग पूरी कर ली है। इस परीक्षण में 700 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पॉड्स को दौड़ाने की संभावना का अध्ययन किया गया। रेल मंत्रालय की आर्थिक सहायता से विकसित इस प्रोटोटाइप को भविष्य के परिवहन प्रणाली की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
टाटा स्टील की महत्वपूर्ण भागीदारी
हाइपरलूप परियोजना को सफल बनाने में टाटा स्टील भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 29 दिसंबर 2022 को टाटा स्टील और ट्यूटर हाइपरलूप ने मिलकर आइआइटी मद्रास के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत इस तकनीक को बड़े पैमाने पर विकसित करने की योजना बनाई गई थी। टाटा स्टील अपने स्टील और कंपोजिट मैटेरियल डिजाइन में विशेषज्ञता का उपयोग कर रहा है, ताकि हाइपरलूप को वास्तविकता में बदला जा सके।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रखा था सपना
टाटा से रांची के बीच हाइपरलूप परियोजना की नींव 2017 में रखी गई थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट सिस्टम की घोषणा की थी। उनका लक्ष्य 2019 तक इस परियोजना को पूरा करने का था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह संभव नहीं हो पाया। हालांकि, सरकार बदलने के बाद इस योजना पर ज्यादा काम नहीं हुआ, लेकिन अब रेलवे मंत्रालय और टाटा स्टील की सक्रिय भागीदारी से इस परियोजना के फिर से साकार होने की उम्मीद बढ़ गई है।
क्या है हाइपरलूप?
हाइपरलूप एक बेलनाकार, खोखला ट्रैक होता है, जिसमें ऐरोडायनैमिक पॉड्स या कैप्सूल बेहद तेज गति से चलते हैं। यह तकनीक भविष्य के परिवहन साधनों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और यात्रा के समय को काफी कम कर सकती है।
झारखंड को क्या होगा फायदा?
यदि टाटा से रांची के बीच हाइपरलूप परियोजना साकार होती है, तो झारखंड के यातायात के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा।
यात्रा का समय घटकर कुछ ही मिनटों में सिमट जाएगा।
औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को नई गति मिलेगी।
झारखंड आधुनिक परिवहन तकनीक अपनाने वाले अग्रणी राज्यों में शामिल होगा।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी यह परियोजना फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि यह ऊर्जा कुशल और कम प्रदूषण वाली प्रणाली है।
क्या होगा अगला कदम?
आइआइटी मद्रास के परीक्षण के बाद अब हाइपरलूप पॉड्स की उच्च गति पर टेस्टिंग की जाएगी। इसके बाद, रेलवे मंत्रालय और टाटा स्टील इस तकनीक को व्यावहारिक बनाने की दिशा में आगे कदम बढ़ाएंगे। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो आने वाले वर्षों में टाटा से रांची के बीच हाइपरलूप यात्रा का सपना हकीकत बन सकता है।