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टाटा स्टील के क्वार्टर पर 27 साल से अवैध कब्जा, तहसीलदार समेत अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:जमशेदपुर में टाटा स्टील के एक कंपनी क्वार्टर पर 27 वर्षों से अवैध कब्जे का मामला सामने आया है, जिसमें प्रशासनिक मिलीभगत का आरोप लगाया जा रहा है। अधिवक्ता श्रीराम दूबे ने खुलासा किया है कि  फर्जी अधिवक्ता अमित वर्मा उर्फ अमित कुमार श्रीवास्तव ने साकची क्षेत्र में स्थित  टिस्को Quater  नंबर 138, टी.आर . टाइप, ओल्ड गंडक रोड साकची  विवेकानंद विद्यालय के पास  जबरन कब्जा कर रखा है।

उन्होंने इस Quter  के पते पर अपना आधार कार्ड भी बनवा लिया, जिससे तहसीलदार राजीव शर्मा, राज सिंह एवं  अन्य अधिकारियों की संलिप्तता पर सवाल उठ रहे हैं।

अवैध कब्जे का खुलासा

 

श्रीराम दूबे के अनुसार, अमित वर्मा टाटा स्टील के उस क्वार्टर में रह रहा है, जो कंपनी कर्मी विश्वनाथ सिंह (पिता बादल सिंह) के नाम पर आवंटित है। पहले उसने बादल सिंह को धमकाकर कब्जा किया और जब कंपनी की ‘नौकरी छोड़ो, नौकरी पाओ’ योजना के तहत क्वार्टर विश्वनाथ सिंह को मिला, तब भी उसने इसे खाली नहीं किया।

क्वार्टर खाली करने पर धमकी

 

जब विश्वनाथ सिंह ने क्वार्टर खाली करवाने का प्रयास किया, तो अमित वर्मा ने धमकी दी कि यदि उन्होंने इसे खाली करवाने की कोशिश की, तो वह झूठा आरोप लगाएगा कि क्वार्टर किराए पर दिया गया है, जिससे उनकी नौकरी जा सकती है। खुद को अधिवक्ता बताकर वह कानूनी कार्रवाई की धमकी भी देता रहा।

 

फर्जी पहचान बनाकर ठगी और करोड़ों की कमाई

 

श्रीराम दूबे ने आरोप लगाया कि अमित वर्मा ने अलग-अलग पहचान बनाकर कई लोगों को ठगा है और इससे करोड़ों रुपये कमा चुका है। ऐसे में संभावना है कि किसी भी समय यह क्वार्टर छोड़कर फरार हो सकता है।

अधिवक्ता समुदाय आहत, कानूनी कार्रवाई की मांग

 

अमित वर्मा की फर्जी गतिविधियों से अधिवक्ता समुदाय भी आहत है। जिला बार एसोसिएशन और झारखंड बार काउंसिल के मेडिकल लाभ समेत अन्य योजनाओं से उसने लाखों रुपये की हेराफेरी की है। अधिवक्ताओं ने प्रशासन से उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।

 

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

 

टाटा स्टील के क्वार्टर से जुड़े मामलों की जानकारी कंपनी को होनी चाहिए, लेकिन तहसीलदार और वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी इस पूरे मामले को संदिग्ध बनाती है। यदि उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।

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