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उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई चाइल्डलाइन, सी.डब्लू.सी, ऑब्जर्वेशन होम, वन स्टॉप सेंटर से संबंधित समीक्षा बैठक, दिए आवश्यक दिशा-निर्देश* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड :जमशेदपुर में आहूत बैठक में पूर्वी सिंहभूम जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल द्वारा मिशन वात्सल्य योजना अंतर्गत कार्यरत सभी घटकों जिसमें जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड, चाइल्ड हेल्पलाइन, वन स्टॉप सेंटर की समीक्षा की गई। उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती संध्या रानी,

डी.सी.पी.ओ, एनजीओ प्रतिनिधि व अन्य संबंधित बैठक में उपस्थित रहे। बैठक में बाल कल्याण समिति से प्राप्त परित्याग बच्चों के अधिकार एवं संरक्षण, एकल अभिभावक वाले बच्चे एवं अनाथ बच्चों को योजनाओं से आच्छादित किए जाने, वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से पीड़ित बालिकाओं/ महिलाओं के आवासन, विधिक सहायता, परामर्श और पुलिस सहायता जैसी सेवाओं की समीक्षा की गई ।

 

साथ ही, चाइल्ड लाईन की गतिविधियों के संबंध में एवं उनकी समस्याओं के संबंध में चर्चा किया गया । वहीं मिशन वात्सल्य योजना, फॉस्टर केयर योजना के साथ ही चाइल्ड प्रोटेक्शन पॉलिसी, वल्नेरेबिलिटी मैपिंग, सड़क पर जीवनयापन करने वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करने, बाल श्रम, बाल व्यापार, बाल विवाह, बाल संरक्षण, पॉक्सो, किशोर न्याय अधिनियम, बच्चों से जुड़े अन्य कानून पर चर्चा की गयी ।

जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने सभी स्टेकहोल्डर को निर्देशित किया कि विशेष परिस्थितियों में रह रहे किशोर-किशोरियों की सुरक्षा और उनके समग्र विकास के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं । सभी का दायित्व है कि न केवल ऐसे बच्चों के शैक्षणिक विकास में बल्कि उनके मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक कल्याण के दिशा में भी कार्य किए जाएं । उन्होने कहा कि स्लम में रहने वाले बच्चे को भी शिक्षा से जोड़ने की दिशा में पहल करें। साथ ही निर्देशित किया कि जो बच्चे भिक्षावृत्ति करते पाए जाएं उनकी काउंसिलिंग करें एवं उनके माता-पिता की भी काउंसिलिंग करें। उपायुक्त ने कहा कि बाल संरक्षण बेहद जरूरी है, इसके लिए सभी को सहयोगात्मक भावना से कार्य करने की जरूरत है । बैठक में बाल संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर सहयोगात्मक रणनीति विकसित करने, बाल संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर हितधारकों के साथ संवाद को सुविधाजनक बनाने, बाल संरक्षण ढांचे को मज़बूत करने तथा बाल संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करने पर बल दिया गया।

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