पुरी में ‘सोल नर्चर’ सत्र: आत्मिक विकास और जीवन मूल्यों पर गहन चर्चा

न्यूज़ लहर संवाददाता
ओड़िशा।पुरी में 10-13 मार्च समुद्र तट पर सूर्योदय से पहले आयोजित ‘सोल नर्चर’ सत्र में आत्मिक विकास, जीवन मूल्यों और मानसिक संतुलन पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता आदिवासी मित्र मंडल के युवा सचिव और समाजसेवी रबिन्द्र गिलुवा ने की। कार्यक्रम का आयोजन टाटा स्टील की “परिवर्तन की पहल” के तहत गांधी श्रम प्रतिष्ठान में किया गया। प्रतिभागियों को अपनी अंतरात्मा को पोषित करने, प्रकृति से जुड़ने और संतुलित जीवन जीने के महत्व को समझाने के लिए यह विशेष सत्र आयोजित किया गया।
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शांति, आत्ममंथन और प्रकृति से जुड़ाव
सत्र में “आत्मा” को अंतरात्मा की आवाज और “पोषण” को मानसिक एवं आध्यात्मिक संतुलन के रूप में परिभाषित किया गया। प्रतिभागियों को मानसिक शांति और आत्ममंथन के लिए प्राकृतिक वातावरण में समय बिताने की प्रेरणा दी गई। रबिन्द्र गिलुवा ने बताया कि समुद्र की लहरें, सूर्योदय की पहली किरण और शुद्ध वातावरण आत्मिक शुद्धि और मानसिक मजबूती प्रदान करते हैं।
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“India I Care” और “Life Balance Sheet” सत्र बने आकर्षण का केंद्र
‘सोल नर्चर’ सत्र के साथ-साथ “India I Care” और “Life Balance Sheet” सत्र भी आयोजन के मुख्य आकर्षण रहे।
“India I Care” सत्र: इस सत्र में देशप्रेम, सामाजिक उत्तरदायित्व और नागरिक कर्तव्यों पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि हर व्यक्ति अपने छोटे-छोटे प्रयासों से देश को मजबूत बना सकता है।
“Life Balance Sheet” सत्र: इस सत्र में मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने के महत्व पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने बताया कि सही प्राथमिकताओं और संतुलन के साथ जीवन को अधिक सार्थक बनाया जा सकता है।
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प्रेरणादायक जीवन मूल्य और नेतृत्व के अनुभव
कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत पुरी बीच पर उत्साहवर्धक व्यायाम सत्र के साथ हुई, जिसमें दिलीप पटेल और साधु हो ने लक्ष्य प्राप्ति के पाँच महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। इसके बाद गांधी श्रम फाउंडेशन में आयोजित सेमिनार में डॉ. अमित मुखर्जी ने पवित्रता, ईमानदारी, निस्वार्थ सेवा और प्रेम जैसे जीवन मूल्यों पर प्रेरक विचार साझा किए।
रबिन्द्र गिलुवा के जीवन से जुड़ी दो प्रेरणादायक घटनाएँ
ईमानदारी का महत्व:
रबिन्द्र गिलुवा ने बताया कि एक बार बस यात्रा के दौरान कंडक्टर गलती से किराया लेना भूल गया। जब उन्हें यह एहसास हुआ, तो वे तुरंत वापस गए और किराया चुकाया। कंडक्टर उनकी ईमानदारी देखकर हैरान रह गया और कहा, “आजकल ऐसे लोग कम ही मिलते हैं।” इस घटना ने रबिन्द्र के भीतर सच्चाई और नैतिकता की गहरी समझ विकसित की।
रिश्तों को सुधारने की सीख:
कॉलेज के दिनों में उनके और प्रिंसिपल के बीच कुछ मतभेद थे, लेकिन सकारात्मक दृष्टिकोण और संवाद के माध्यम से उन्होंने मजबूत और सम्मानजनक संबंध स्थापित किए।
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अन्य प्रेरक वक्ताओं के अनुभव
पिंकी बास्के ने पवित्रता और विश्वास के महत्व पर प्रकाश डाला।
प्रतिभा टुडू ने अपनी संघर्षपूर्ण कहानी साझा की कि कैसे उन्होंने दोबारा 10वीं बोर्ड परीक्षा पास कर अपने आत्मविश्वास को मजबूत किया।
साधु हो, देबेन मुखी और गुरु पद महतो ने भी जीवन में आए कठिनाइयों और उनके समाधानों पर विचार साझा किए।
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प्रतिभागियों पर गहरा प्रभाव
यह सत्र प्रतिभागियों को गहराई से प्रभावित करने में सफल रहा। कई प्रतिभागियों ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लिया और नैतिकता, सेवा और आत्मिक संतुलन को अपनाने की प्रेरणा पाई।
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सत्र का समापन और भविष्य की योजना
कार्यक्रम में IofC सेंटर से दिलीप पटेल, IofC जमशेदपुर के डॉ अमित मुखर्जी, टाटा स्टील के गुरु पद महतो, IofC जमशेदपुर टीम से प्रतिभा टुडू, कस्तूरी हसदा, देबेन मुखी, साधु हो और पिंकी बास्के ने प्रमुख योगदान दिया।
यह आयोजन केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं था, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।