चैत्र नवरात्रि 30 से, हाथी पर सवार होकर आ रहीं मां, इस बार आठ दिनों का होगा नवरात्रि
न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का खास महत्व है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की अलग-अलग रूप में उपासना की जाती है। चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है, जो 30 मार्च से होने वाली है। वहीं रामनवमी 6 अप्रैल को होगा। इस बार नवरात्रि नौ नहीं बल्कि आठ दिनों का होगा। चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि के दिन कलश स्थापना की जायेगी।
इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में मां जगदंबे की आराधना होगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रतिपदा तिथि की शुरूआत 29 मार्च को शाम 4 बजकर 32 मिनट पर हो रही है। जो अगले दिन यानी 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
उदया तिथि के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का मान्य 30 मार्च को होगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 06.13 से 10.22 बजे तक का है। वहीं दोपहर 12.01 से 12.50 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है। इन मुहूतों में कलश स्थापना करना विशेष फलदायक होता है।
चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिंदू नववर्ष भी शुरू हो जायेगा। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा पृथ्वीलोक पर आती हैं। उनका आगमन विशेष वाहनों से होता है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। क्योंकि नवरात्रि रविवार से प्रारंभ हो रहा है। हाथी को भारतीय संस्कृति में शांति, स्मृति, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। हाथी पर
मां दुर्गा का आगमन शुभ संकेत माना जाता है। इससे धन-धान्य में वृद्धि होती है। साथ ही देश में शांति और समृद्धि का आगमन होगा। नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी दिन के हिसाब से तय होती है। नवरात्रि की शुरूआत यदि रविवार या सोमवार से होता है तो मां दुर्गा का आगमन हाथी से होता है। नवरात्रि शुरूआत यदि मंगलवार या शनिवार से होता है तो मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को यदि नवरात्रि की शुरूआत होती है तो माता रानी डोली पर सवार होकर आती हैं।
वहीं अगर नवरात्रि की शुरूआत बुधवार को हो रही है तो मां दुर्गा का आगमन नौका से होता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ ही ज्वार या जौ भी बोई जाती है। जौ बोना बहुत शुभ माना जाता है। जौ को मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और पूरे नौ दिन तक इसका पूजन किया जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि बिना जौ बोये मां दुर्गा की पूजा पूरी नहीं होती है। आइये आपको बताते हैं कि आखिर नवरात्रि में जौ क्यों बोते हैं और जौ के उगने के बाद उससे निकले दानों के रंग क्या संकेत देते हैं।