जमशेदपुर में फर्जी अधिवक्ताओं का खेल: न्याय के मंदिर में दलाली, अधिवक्ताओं में आक्रोश
न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर के स्थानीय अदालत में वकालत के पेशे को बदनाम करने वाले कुछ फर्जी और भ्रष्ट अधिवक्ताओं का गठजोड़ सामने आ रहा है, जो कानूनी पेशे की गरिमा को तार-तार कर रहे हैं। कनीय और वरीय अधिवक्ताओं के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो वकालत से ज्यादा जमीन और पुलिस की दलाली में लिप्त हैं। इतना ही नहीं, इन अधिवक्ताओं का अपराधियों से गठजोड़ भी देखने को मिल रहा है, जो उन्हें कानूनी कार्रवाई से बचाने और उनकी छवि सुधारने में लगे रहते हैं।
यह फर्जी अधिवक्ता पुलिस के साथ सांठगांठ कर अपराधियों के लिए फर्जी गवाह जुटाने, झूठे केस लड़ने और पीड़ितों को डराने-धमकाने का काम करते हैं। इनकी गतिविधियों से ईमानदार और सच्चे अधिवक्ताओं की प्रतिष्ठा पर धब्बा लग रहा है। ऐसे अधिवक्ताओं के खिलाफ अब कानूनी पेशे से जुड़े कई वरिष्ठ वकीलों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है।
फर्जी अधिवक्ता के खिलाफ दर्ज हुआ मामला
हाल ही में अधिवक्ता श्रीराम दुबे ने एक कथित फर्जी अधिवक्ता की पोल खोलकर न्यायपालिका को शर्मसार होने से बचाने का प्रयास किया। उनकी सक्रियता के कारण उक्त फर्जी अधिवक्ता के खिलाफ बिष्टुपुर थाना में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई अन्य फर्जी वकीलों के लिए एक कड़ा संदेश है कि अब उनका खेल ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला।
फर्जी अधिवक्ताओं के काम करने का तरीका
सूत्रों के अनुसार, ये फर्जी अधिवक्ता नए मुवकिल को फंसा कर उनसे मोटी रकम वसूलते हैं। इनके कार्यक्षेत्र में शामिल हैं:
1. जमीन की दलाली – विवादित जमीनों के फर्जी दस्तावेज तैयार करना और सौदेबाजी करना।
2. पुलिस से सांठगांठ – पैसे लेकर मामलों को कमजोर करना या प्रभावित करना।
3. अपराधियों की मदद – कोर्ट में फर्जी गवाह खड़े कर अपराधियों को बचाने की कोशिश करना।
4. प्रेस रिलीज जारी करना – अपराधियों की छवि सुधारने के लिए उनके पक्ष में खबरें फैलाना।
कानूनी प्रक्रिया और सख्त कार्रवाई की मांग
अब कई ईमानदार अधिवक्ता ऐसे दलाल प्रवृत्ति के वकीलों के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और राज्य अधिवक्ता संघ से यह मांग उठाई जा रही है कि फर्जी अधिवक्ताओं के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
1. फर्जी अधिवक्ताओं की पहचान – बार काउंसिल को चाहिए कि वे सभी अधिवक्ताओं का डिग्री और पंजीकरण प्रमाणपत्र सत्यापित करें।
2. कड़े कानूनी प्रावधान – ऐसे अधिवक्ताओं पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी) और 468 (जालसाजी) के तहत मामला दर्ज किया जाए।
3. लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई – जो अधिवक्ता कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं, उनका पंजीकरण निरस्त किया जाए और उन्हें वकालत करने से प्रतिबंधित किया जाए।
4. पुलिस और न्यायपालिका की सख्ती – ऐसे भ्रष्ट वकीलों की निगरानी के लिए एक विशेष जांच समिति गठित करने की मांग की जा रही है।
वकालत केवल एक पेशा नहीं, बल्कि न्याय का मंदिर है, जहां सत्य और न्याय की रक्षा होती है। लेकिन कुछ फर्जी और दलाल प्रवृत्ति के अधिवक्ताओं ने इसे अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। ऐसे अधिवक्ताओं पर अब कानूनी शिकंजा कसने का समय आ गया है। सही और ईमानदार अधिवक्ताओं को चाहिए कि वे इस लड़ाई में आगे आएं और न्यायिक प्रक्रिया को भ्रष्टाचार से मुक्त करने में अपना योगदान दें।
अब देखना यह होगा कि इस मामले में प्रशासन और बार काउंसिल कितनी तत्परता से कार्रवाई करता है और न्याय के इस मंदिर को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।