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जमशेदपुर न्यायालय में ₹20 के कोर्ट फीस टिकट की भारी किल्लत, अधिवक्ताओं में आक्रोश

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर स्थानीय न्यायालय में   कोर्ट फीस टिकट की भारी किल्लत हो गई है, जिससे अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। अधिवक्ताओं का कहना है कि बिना  टिकट के कोई भी याचिका (पिटीशन) दायर नहीं की जा सकती, जिससे उनके कामकाज पर सीधा असर पड़ रहा है। डिजिटल या ई-स्टांपिंग की व्यवस्था को दुरुस्थ किया  जाए । ई-स्टांपिंग की व्यवस्था को दुरुस्थ नही होने के कारण अधिवक्ताओं को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। जिससे अधिवक्लताओं में काफी आक्रोश  है ,  जिससे उनका बहुमूल्य समय नष्ट हो रहा है और कानूनी प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।

वेंडरों के पास टिकटों की कमी, ब्लैक मार्केटिंग की आशंका

स्थानीय वेंडरों के अनुसार, वे सरकार द्वारा जारी किए गए ₹20 के टिकट टेरिटरी (कोषागार) से खरीदकर अपने काउंटर से बेचते हैं, लेकिन अब उन्हें ये टिकट उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इस कारण अधिवक्ताओं और मुवक्किलों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई अधिवक्ताओं का आरोप है कि टिकटों की किल्लत कृत्रिम रूप से बनाई जा रही है, जिससे ब्लैक मार्केटिंग की संभावना बढ़ गई है। कुछ लोग ऊंचे दामों पर टिकट बेचने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुगमता प्रभावित हो रही है।

न्यायिक प्रक्रिया पर असर, अधिवक्ताओं की मांग

कोर्ट फीस टिकट न्यायिक प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है। बिना इस टिकट के कोई भी याचिका या दस्तावेज न्यायालय में स्वीकार नहीं किया जाता। टिकटों की कमी के कारण मुकदमों की फाइलिंग में देरी हो रही है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया बाधित हो रही है। अधिवक्ताओं का कहना है कि यदि उन्हें टिकट के लिए घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ेगा, तो वे अपने मुवक्किलों के मामलों की उचित पैरवी कैसे कर पाएंगे?

अधिवक्ताओं ने सरकार से मांग की है कि:

1.   कोर्ट फीस   की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए – सरकार को तुरंत न्यायालयों में टिकटों की आपूर्ति बढ़ानी चाहिए ताकि अधिवक्ताओं को कठिनाईयों का सामना न करना पड़े।

2.  काउंटर पर लाइन लगाने की समस्या का समाधान किया जाए – टिकट वितरण की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाए, जिससे अधिवक्ताओं को तुरंत टिकट उपलब्ध हो सके।

3. डिजिटल या ई-स्टांपिंग की व्यवस्था को दुरुस्थ किया  जाए – कई राज्यों में कोर्ट फीस भुगतान के लिए ई-स्टांपिंग या डिजिटल मोड की व्यवस्था की गई है, जिससे अधिवक्ताओं को टिकट खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। झारखंड में भी दुरुस्थ  करने की आवश्यकता है।

4. ब्लैक मार्केटिंग पर रोक लगाई जाए – यदि टिकटों की कमी कृत्रिम रूप से बनाई जा रही है, तो सरकार को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

 

कानूनी पहलू: कोर्ट फीस टिकट का महत्व

न्यायिक प्रक्रिया में कोर्ट फीस टिकट का विशेष महत्व होता है। यह सरकारी राजस्व का एक प्रमुख स्रोत भी है। झारखंड कोर्ट फीस अधिनियम के तहत, किसी भी प्रकार की याचिका, अपील, पुनरीक्षण या अन्य दस्तावेज न्यायालय में दाखिल करने से पहले निर्धारित शुल्क के कोर्ट फीस टिकट लगाना अनिवार्य होता है। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व संग्रहण के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया को व्यवस्थित और प्रमाणिक बनाना होता है।

यदि किसी दस्तावेज़ पर आवश्यक कोर्ट फीस टिकट नहीं लगा होता है, तो न्यायालय उसे अस्वीकार कर सकता है, जिससे मुवक्किल को न्याय पाने में देरी हो सकती है। इसीलिए, सरकार की जिम्मेदारी है कि न्यायालयों में पर्याप्त मात्रा में कोर्ट फीस टिकट उपलब्ध कराए ताकि न्यायिक प्रक्रिया में कोई बाधा न आए।

सरकार को तुरंत कदम उठाने की जरूरत

अधिवक्ताओं और न्यायिक प्रक्रिया की सहजता के लिए सरकार को इस समस्या का शीघ्र समाधान निकालना चाहिए। यदि यह समस्या लंबी चलती है, तो अधिवक्ता संघ विरोध प्रदर्शन कर सकता है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और अधिक प्रभावित हो सकती है। सरकार को या तो टिकटों की उपलब्धता बढ़ानी चाहिए या फिर डिजिटल भुगतान व्यवस्था लागू करनी चाहिए ताकि अधिवक्ताओं को अनावश्यक परेशानी न उठानी पड़े।

(रिपोर्ट: जमशेदपुर न्यायालय से विशेष संवाददाता)

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