टाटानगर रेल सिविल डिफेंस द्वारा आयोजित एक दिवसीय आपदा कार्य प्रशिक्षण शिविर में लोको पायलटों को दी गई आपातकालीन प्रतिक्रिया की महत्वपूर्ण जानकारी*

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:जमशेदपुर स्थित टाटानगर रेल सिविल डिफेंस द्वारा दक्षिण पूर्व रेलवे इलेक्ट्रिक लोको पायलट ट्रेंनिंग सेंटर में एक दिवसीय आपदा कार्य प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न रेलवे मंडलों के 200 से अधिक लोको पायलटों ने भाग लिया। शिविर का उद्देश्य लोको पायलटों को आपातकालीन स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना था।
रेल सिविल डिफेंस इंस्पेक्टर संतोष कुमार ने कार्यक्रम में बताया कि ट्रेन दुर्घटनाओं के दौरान यात्रियों को दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा जाता है – मेजर और माइनर घायल। इन घायलों को प्राथमिक चिकित्सा देने की विधि और उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद किसे अस्पताल भेजा जाना चाहिए, इस पर विशेष ध्यान दिया गया।
इस संदर्भ में ‘ट्राई एज’ की पद्धति के तहत लाल, पीला, हरा और काला रिबन तथा पट्टियों का उपयोग करने की विधि सिखाई गई, ताकि ‘गोल्डन आवर’ (उस महत्वपूर्ण समय का उपयोग) में घायल यात्रियों की जान बचाई जा सके।
इसके अलावा, मैन मेड स्ट्रेचर और ब्लैंकेट से घायल को सुरक्षित तरीके से बाहर निकालने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया गया। प्रशिक्षण में यह भी बताया गया कि किस प्रकार से स्ट्रेचर का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि घायल यात्री को किसी प्रकार का अतिरिक्त नुकसान न हो।
शिविर में डेमोंस्ट्रेटर अनिल कुमार सिंह द्वारा एलपीजी गैस लीकेज से आग लगने पर उसे बुझाने की विधि का प्रशिक्षण दिया गया, वहीं शंकर प्रसाद ने ड्राई केमिकल पाउडर और कार्बन डाइऑक्साइड फायर संयंत्र के उपयोग और आग बुझाने की सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया। इस प्रकार के प्रशिक्षण से लोको पायलटों को ट्रेन और यात्री सुरक्षा से संबंधित आपातकालीन स्थितियों में विशेषज्ञता प्राप्त करने का अवसर मिला।
कार्यक्रम में दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर, खड़गपुर, आद्रा, रांची मंडल के साथ-साथ ईस्टर्न रेलवे, कोलकाता और मालदा से भी लोको पायलटों ने भाग लिया। यह आयोजन विशेष रूप से ट्रेन दुर्घटनाओं में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के रूप में महत्व रखता है।
रेल सिविल डिफेंस की इस पहल से न केवल लोको पायलटों को आपदा प्रबंधन में माहिर किया गया, बल्कि यह प्रशिक्षण भविष्य में किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति में रेलवे अधिकारियों को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक कदम साबित होगा।