Regional

जमशेदपुर: संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में ध्रुव, अजामिल और प्रहलाद की भक्ति कथा, भजनों पर झूमे श्रद्धालु

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड।जमशेदपुर के साकची स्थित श्री श्री रामलीला उत्सव समिति के तत्वावधान में श्री राम कृष्ण मित्र मंडल द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस में राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता आचार्य श्री राजेश कृष्ण जी महाराज ने भक्तों को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। कथा में ध्रुव जी महाराज, अजामिल और प्रह्लाद की भक्ति से जुड़ी प्रेरणादायक कथाओं का वर्णन हुआ, जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।

ध्रुव की तपस्या: छोटी मां की बात से जागा ईश्वर के प्रति विश्वास

 

आचार्य श्री ने ध्रुव जी महाराज की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि उत्तानुपाद राजा के पुत्र ध्रुव को उनकी छोटी माता सुरुचि ने पिता की गोद में बैठने से मना कर दिया और कहा, “यदि इस गद्दी पर बैठना चाहते हो तो भगवान की आराधना करो

और उनसे मेरा गर्भ मांगो।” माता के वचन सुनकर बालक ध्रुव के हृदय में ईश्वर के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति जागी। उन्होंने कठोर तपस्या की और केवल पांच महीने में भगवान को प्राप्त कर लिया।

ध्रुव की सफलता में उनकी माता सुनीति के दिए गए संस्कारों की अहम भूमिका थी। आचार्य श्री ने कहा, “मां की गोद ही बच्चे की पहली यूनिवर्सिटी होती है। अगर माताएं बच्चों को अच्छे संस्कार दें, तो उनका जीवन स्वर्णिम हो सकता है।”

अजामिल की कथा: भगवान के नाम की महिमा अपरंपार

 

इसके बाद अजामिल की कथा सुनाई गई, जिसमें बताया गया कि भगवान का नाम चाहे भाव से जपा जाए या कु-भाव से, उसका प्रभाव अवश्य पड़ता है। अजामिल, जो पहले एक सदाचारी ब्राह्मण था, सांसारिक माया में फंसकर दुराचारी बन गया। लेकिन मृत्यु के समय उसने अपने पुत्र ‘नारायण’ को पुकारा और इस बहाने भगवान का नाम उच्चारित हो गया।

इस पर भगवान के पार्षद विष्णुदूतों ने आकर यमदूतों से उसकी रक्षा की। आचार्य श्री ने बताया कि “भगवान का नाम लेने मात्र से जीव का उद्धार संभव है। इसलिए हर व्यक्ति को राम-नाम का सुमिरन करना चाहिए।”

 

प्रहलाद की अटूट भक्ति और भगवान का प्राकट्य

 

इसके बाद भक्त प्रहलाद की कथा का वर्णन किया गया। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से पूछा, “तेरा भगवान कहां है?” प्रहलाद ने उत्तर दिया, “हर जगह है, खंभे में भी है।” जब हिरण्यकश्यप ने खंभे पर प्रहार किया, तो उसमें से भगवान नरसिंह प्रकट हो गए और उन्होंने दैत्यराज का अंत कर दिया।

 

आचार्य श्री ने कहा, “यदि किसी का भगवान पर अटूट विश्वास हो तो वह उसे हर जगह दिखाई देते हैं। भगवान व्यापक हैं और सच्चे प्रेम से उन्हें पाया जा सकता है।”

भजनों पर झूमे श्रद्धालु, भक्तिरस में डूबे श्रद्धालु

 

कथा के दौरान आचार्य श्री द्वारा गाए गए भजनों ने श्रद्धालुओं को भक्ति में सराबोर कर दिया। भक्तगण झूमते हुए नृत्य करने लगे, मानो वे भक्ति के रस में पूरी तरह डूब गए हों।

 

गाए गए प्रमुख भजन:

 

1. “जो न जपे राम, वो है किस्मत के मारे, रामजी के नाम ने तो पत्थर भी तारे।”

 

 

2. “मेरा कर दो बेड़ा पार, भोले शंकर जी।”

 

 

3. “चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरिया झीनी रे झीनी।”

 

 

 

भजनों के मधुर स्वरों ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया, और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भक्तगण संसार से परे होकर प्रभु में लीन हो गए।

 

मुख्य जजमानों ने किया पितरों का पूजन

 

इस भव्य आयोजन में मुख्य जजमानों ने सुबह अपने पितरों का पूजन किया और परिवार की खुशहाली एवं पितरों के मोक्ष की प्रार्थना की।

 

इस आयोजन में सुभाष चंद्र शाह, रामगोपाल चौधरी, गया प्रसाद चौधरी, पवन अग्रहरि, रोहित मिश्रा, डॉक्टर डीपी शुक्ला, शंकर लाल सिंघल, राम केवल मिश्र, अवधेश मिश्रा, दिलीप तिवारी, मगन पांडे, मनोज कुमार मिश्रा, मनोज तिवारी, गौरी शंकर बसंत आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

 

संकीर्तन के साथ कथा का समापन

 

कथा के अंत में संकीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने मिलकर हरिनाम संकीर्तन किया। यह भव्य आयोजन भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रभु भक्ति का अनुपम स्रोत साबित हुआ।

 

जमशेदपुर में यह संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ आगे भी जारी रहेगी।

Related Posts