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जमशेदपुर में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा: कृष्ण जन्म से लेकर गोवर्धन पूजा तक के प्रसंगों पर भक्त हुए भावविभोर

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:जमशेदपुर स्थित साकची में श्री श्री रामलीला उत्सव समिति के तत्वावधान एवं श्री राम कृष्ण मित्र मंडल द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता आचार्य श्री राजेश कृष्ण जी के सुमधुर वचनों से भक्तों को आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है। कथा के पंचम दिवस में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, उनके जन्म, गोकुल गमन, पूतना वध, गोपियों संग बाल्य क्रीड़ा, कालिया नाग दमन, और इंद्र के मानमर्दन की घटनाओं का विस्तृत वर्णन किया गया।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म और गोकुल गमन

 

आचार्य श्री राजेश कृष्ण जी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ। देवकी और वसुदेव के पुत्र के रूप में अवतरित होने के साथ ही समस्त ब्रह्मांड में दिव्य प्रकाश फैल गया।

वसुदेव जी ने भगवान को टोकरी में रखा और यमुना पार कर गोकुल में नंद बाबा के घर पहुंचाया। जब नंद बाबा को इस शुभ समाचार का पता चला तो आनंद और उल्लास की लहर दौड़ पड़ी। गोकुलवासी हर्षित होकर नाचने-गाने लगे और नंद बाबा ने हाथी, घोड़ा, पालकी, गैया, बछड़ा सहित अनेक वस्तुओं का दान किया।

पूतना वध और बाललीलाएं

 

भगवान श्रीकृष्ण जब केवल छह दिन के थे, तब राक्षसी पूतना उन्हें मारने के उद्देश्य से आई। उसने विषैला दुग्ध पिलाने की कोशिश की, लेकिन भगवान ने उसे उसी के कर्मों का दंड देकर उद्धार कर दिया। इस लीला को सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।

इसके बाद भगवान शिव ने श्रीकृष्ण के बालरूप का दर्शन किया, माता यशोदा अपने आंगन में भगवान की क्रीड़ा देख आनंदित हो रही थीं। प्रवचन में कहा गया कि भगवान केवल सरलता पर रीझते हैं और जो सबको यश प्रदान करें, वही “यशोदा” कहलाती हैं।

 

गोपियों संग माखन चोरी और यमलार्जुन उद्धार

भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में माखन चोरी का प्रसंग आया, जिसे सुनकर भक्त झूम उठे। यह लीला प्रतीक है कि भगवान केवल माखन नहीं, बल्कि भक्तों का मन चुराते हैं। इसके बाद भगवान ने यमलार्जुन वृक्ष का उद्धार कर वृंदावन में प्रवेश किया।

भगवान श्रीकृष्ण का वृंदावन आगमन और राक्षस वध

 

भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में कई दुष्टों का नाश किया। उन्होंने बकासुर, बत्सासुर और अघासुर जैसे दुष्टों का उद्धार किया। इसके साथ ही यज्ञपत्नी उद्धार प्रसंग में यह बताया गया कि भगवान यज्ञ से नहीं, बल्कि भक्तों के प्रेम और भक्ति भाव से शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

कालिया नाग का अहंकार नष्ट किया

 

यमुना नदी में कालिया नाग के विष के कारण जल दूषित हो गया था। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य चरणों से कालिया नाग के अहंकार को चूर्ण कर दिया। कथा में इसे प्रतीकात्मक रूप से बताया गया कि जैसे हृदय रूपी यमुना में अहंकार रूपी कालिया नाग को केवल भगवान श्रीकृष्ण ही दूर कर सकते हैं।

चीर हरण लीला: अज्ञानता का हरण

 

गोपियां जब यमुना में नग्न स्नान कर रही थीं, तो श्रीकृष्ण ने उनके वस्त्र चुरा लिए। इसका आध्यात्मिक अर्थ बताया गया कि गोपियां जीवात्मा हैं, श्रीकृष्ण परमात्मा हैं, और वस्त्र अज्ञानता का प्रतीक है। जब जीव भ्रम में भटकता है, तो समय आने पर ईश्वर उसकी अज्ञानता हर लेते हैं।

 

गोवर्धन पूजा और इंद्र का मानमर्दन

 

इंद्रदेव को यह अहंकार हो गया था कि उनकी कृपा से ही पृथ्वी पर अन्न-धन्य की प्राप्ति होती है। श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा रोककर गोवर्धन पर्वत की पूजा करवाई। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने मूसलधार बारिश कर दी, लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर समस्त वृजवासियों की रक्षा की। कथा में संदेश दिया गया कि कभी भी अपने बल का अहंकार नहीं करना चाहिए। इस अवसर पर छप्पन भोग अर्पित किए गए और भजनों पर श्रोता झूमते रहे।

 

भजनों में भक्तों ने झूमकर लिया आनंद

 

इस अवसर पर कई भक्तिपूर्ण भजन प्रस्तुत किए गए, जिनमें मुख्य रूप से –

 

1. अरे मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे नाम

 

 

2. चित चोर मेरो माखन खाय गयो री

 

 

3. मेतो गोवर्धन कुँ जाऊं, मेरे वीर नाय माने मेरो मनुआ

 

 

 

सम्मानित जजमान और आयोजन समिति के प्रमुख सदस्य

 

आज के यजमान गया प्रसाद चौधरी सपत्नी सत्यवती देवी, उर्मिला सिंह (युवा नेता विकास सिंह की माता जी), अनिल चौबे – सपत्नी ममता, दिलीप तिवारी – रीना, हरशूल चौधरी – स्वागत देवी थे।

 

इस भव्य आयोजन में सुभाष चंद्र शाह, रामगोपाल चौधरी, गया प्रसाद चौधरी, पवन अग्रहरि, रोहित मिश्रा, डॉक्टर डीपी शुक्ला, शंकर लाल सिंघल, राम केवल मिश्र, अवधेश मिश्रा, दिलीप तिवारी, मगन पांडे, मनोज कुमार मिश्रा, मनोज तिवारी, गौरी शंकर बसंत सहित अन्य गणमान्य लोगों ने विशेष योगदान दिया।

 

श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, भक्ति में डूबे भक्त

 

संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में भक्तों की अपार भीड़ देखने को मिली। श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में तन्मय होकर भक्ति भाव में लीन हो गए। प्रवचन के दौरान श्रोता भक्ति रस में डूबे रहे और कथा स्थल पर “जय श्रीकृष्ण” और “राधे-राधे” के जयकारे गूंजते रहे।

 

इस पावन कथा आयोजन के लिए आयोजकों ने सभी श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया और कहा कि भक्ति की इस गंगा में डुबकी लगाकर सभी अपने जीवन को धन्य करें।

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