महिलाओं की भूमिका पर दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड।चाईबासा के पड़ियारपी में संयुक्त महिला समिति फोरम के तत्वावधान में दो दिवसीय महिला कार्यशाला सह महिला दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में स्वशासन, पर्यावरण संरक्षण, वन एवं कृषि उत्पादों में महिलाओं की भूमिका को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में ज्योत्सना तिर्की ने महिलाओं की शक्ति और संघर्षशीलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाएं जननी होने के साथ-साथ समाज की सशक्त धुरी भी हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति हमें सहजीवन और शोषण रहित जीवन जीने की प्रेरणा देती है, और इसी मूल भावना को अपनाकर हमें अपनी परंपराओं को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना होगा।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। आदिवासी समुदायों की मुंडा-मानकी, मांझी-परगना, डोकलो-सोहोर और पड़हा-पंचायत जैसी परंपरागत स्वशासन व्यवस्थाओं को मजबूत करने और उनमें महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। पेशा कानून और वन अधिकार अधिनियम 2006 की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह कानून आदिवासी समुदायों को उनके पारंपरिक अधिकार लौटाने का एक बड़ा कदम है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत पर अब भी काफी काम किया जाना बाकी है।
कार्यशाला में पर्यावरण और वन संरक्षण में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया गया। वक्ताओं ने कहा कि वन केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं, बल्कि यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। वनों के विनाश को रोकने और उनके सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं की भूमिका अहम है। इसके अलावा कृषि और वन उत्पादों से जुड़ी महिलाओं के योगदान पर भी चर्चा की गई। वन उत्पादों जैसे शहद, पत्ते, जड़ी-बूटियां और लकड़ी से आय के सतत स्रोत को बढ़ावा देने की जरूरत बताई गई।
महिला मजदूरों के अधिकारों पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र की महिला मजदूरों को आज भी उचित मजदूरी और अनुकूल कार्य परिस्थितियों की कमी से जूझना पड़ता है। उनके सशक्तिकरण के लिए कानूनी सुरक्षा के प्रावधानों को और प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग उठाई गई।
कार्यशाला में शांति सवैंया, रिंजी लेपचा, शीतल बागे, सरस्वती सिंकू, शिवानी मार्डी, सरस्वती कुददा, सीता सुंडी, लक्ष्मी सिरका, जयंती जोंकों, सुनील पूर्ति, मईया सोरेन और अनमोल पिंगुआ जैसे वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां की 70 महिलाओं ने इसमें भाग लिया।
कार्यक्रम के समापन से पहले खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें उपस्थित महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस प्रतियोगिता का संचालन बहन रिंजी लेपचा और लक्ष्मी सिरका ने किया। समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सुशीला बोदरा ने कहा कि महिलाएं परिवार, समाज और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उनके सशक्तिकरण से ही शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीतिक भागीदारी और आर्थिक संसाधनों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित होगी, जिससे समाज और अधिक मजबूत बनेगा।