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पश्चिमी सिंहभूम में नक्सलियों का कहर: ग्रामीण की गला रेतकर हत्या, इलाके में दहशत

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:पश्चिमी सिंहभूम जिले में नक्सलियों ने एक बार फिर से खूनी खेल खेला है। छोटानागरा थाना क्षेत्र के घोर नक्सल प्रभावित दीकुपोंगा गांव में हथियारबंद नक्सलियों ने एक ग्रामीण की गला रेतकर हत्या कर दी। इस घटना के बाद से इलाके में जबरदस्त दहशत का माहौल है, और कोई भी इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।

रविवार देर रात की वारदात

सूत्रों के मुताबिक, रविवार की देर रात दर्जनों की संख्या में आए नक्सलियों ने दीकुपोंगा गांव निवासी तुपरा होनाहोगा के घर को घेर लिया। हथियार के बल पर उसे जबरन घर से बाहर निकाला और दोलैईगाड़ा के पास नदी किनारे ले गए, जहां उसकी बेरहमी से गला रेतकर हत्या कर दी गई।

 

दहशत में ग्रामीण, समय पर नहीं पहुंची पुलिस

घटना के बाद इलाके में डर का माहौल बन गया है। हालांकि, किसी ने हिम्मत जुटाकर पुलिस को इसकी सूचना दी, लेकिन पुलिस समय पर घटनास्थल तक नहीं पहुंच सकी। डर के कारण ग्रामीणों ने शव को मौके पर ही दफना दिया।

 

पहले भी हो चुका नक्सली हमला

गौरतलब है कि इस हत्या से एक दिन पहले इसी इलाके में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर सुरक्षा बल के दो जवानों को घायल कर दिया था। इनमें से एक सब-इंस्पेक्टर इलाज के दौरान शहीद हो गए थे। यह घटनाएं बताती हैं कि इलाके में नक्सली गतिविधियां तेज हो गई हैं और ग्रामीणों में आतंक फैला हुआ है।

 

हत्या के पीछे की वजह अब तक स्पष्ट नहीं

तुपरा होनाहोगा की हत्या क्यों की गई, इसका स्पष्ट कारण अब तक सामने नहीं आया है। हालांकि, यह जानकारी मिली है कि वह कुछ महीने पहले नक्सली कनेक्शन के एक मामले में जेल से बाहर आया था और एक राजनीतिक दल का सदस्य भी था। इस संबंध में पुलिस और स्थानीय लोग खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

पुलिस कर रही है जांच

इस घटना पर पश्चिमी सिंहभूम के एसपी आशुतोष शेखर ने कहा कि पुलिस को अब तक हत्या की आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, लेकिन मामले की जांच की जा रही है। पुलिस जल्द ही इस घटना की तह तक पहुंचने का प्रयास करेगी।

 

इलाके में बढ़ी नक्सली गतिविधियां, ग्रामीणों में डर

लगातार हो रही नक्सली घटनाओं से पश्चिमी सिंहभूम का छोटानागरा थाना क्षेत्र आतंक के साये में है। ग्रामीण बड़ी संख्या में नक्सलियों को इलाके में घूमते हुए देख रहे हैं, जिससे उनका डर और बढ़ गया है। प्रशासन के लिए यह चुनौती बन चुका है कि कैसे इस इलाके में नक्सल प्रभाव को कम किया जाए और लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया जाए।

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