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ईद पर गरीब मुस्लिम परिवारों के लिए भाजपा की ‘सौगात-ए-मोदी’ योजना शुरू

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ईद के अवसर पर देशभर के 32 लाख गरीब मुसलमानों को विशेष उपहार देने की घोषणा की है। इस पहल का नाम ‘सौगात-ए-मोदी’ रखा गया है, जिसके तहत जरूरतमंद मुस्लिम परिवारों को त्योहार मनाने के लिए आवश्यक वस्तुओं की किट दी जाएगी।

 

क्या है ‘सौगात-ए-मोदी’ किट?

 

‘सौगात-ए-मोदी’ किट में ईद से जुड़ी जरूरी वस्तुएं शामिल की गई हैं, ताकि गरीब मुसलमान भी खुशी से त्योहार मना सकें। इस किट में निम्नलिखित चीजें होंगी:

सेवइयां

 

खजूर और ड्राई फ्रूट्स

 

बेसन, घी-डालडा

 

महिलाओं के लिए सूट के कपड़े

 

अन्य आवश्यक वस्तुएं

 

 

कैसे चलेगा यह अभियान?

 

इस अभियान का नेतृत्व भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा करेगा। इसके तहत 32 हजार भाजपा पदाधिकारी 32 हजार मस्जिदों में संपर्क करेंगे और मुस्लिम समुदाय को यह उपहार वितरित करेंगे। हर भाजपा कार्यकर्ता कम से कम 100 लोगों तक पहुंचेगा, जिससे यह योजना व्यापक स्तर पर प्रभावी हो सके।

अभियान की शुरुआत और उद्देश्य

 

‘सौगात-ए-मोदी’ अभियान की शुरुआत 25 मार्च 2025 को नई दिल्ली के गालिब अकादमी से की गई। भाजपा का कहना है कि यह पहल केवल ईद की खुशियों को बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की उनकी नीति का हिस्सा है। पार्टी का यह भी मानना है कि इससे मुस्लिम समुदाय को ‘चंद दलालों और ठेकेदारों’ के प्रभाव से मुक्त करने में मदद मिलेगी।

 

किन राज्यों में होगा लागू?

 

यह अभियान पूरे भारत में चलाया जाएगा, लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसे विशेष रूप से लागू किया जाएगा, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है और भाजपा अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है।

 

भाजपा का बयान

 

भाजपा नेताओं का कहना है कि यह अभियान सामाजिक समावेश और गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक बड़ा कदम है। पार्टी का मानना है कि इस पहल से मुस्लिम समुदाय के गरीब परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा और वे भी सम्मानपूर्वक त्योहार मना सकेंगे।

 

भाजपा की ‘सौगात-ए-मोदी’ योजना एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल के रूप में देखी जा रही है। ईद के मौके पर इस तरह की सहायता से पार्टी मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने का प्रयास कर रही है। अब देखना यह होगा कि इस योजना का कितना असर पड़ता है और इसे मुस्लिम समाज किस तरह से स्वीकार करता है।

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