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चाईबासा में विहंगम योग संत समाज द्वारा निकाली गई स्वर्वेद यात्रा: भारतीय नव वर्ष पर एक दिव्य आस्था का संगम* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:चाईबासा में ब्रह्मविद्या विहंगम योग संत समाज के द्वारा चाईबासा में आयोजित स्वर्वेद यात्रा एक अद्वितीय धार्मिक और आस्थापूर्ण कार्यक्रम था, जो भारतीय नव वर्ष के अवसर पर पूरे विश्व में निकाली जा रही स्वर्वेद यात्रा का हिस्सा था। इस धार्मिक आयोजन का मुख्य उद्देश्य स्वर्वेद कथामृत की गूढ़ता को जनमानस तक पहुंचाना था, जिसमें संत समाज के विशेष योगदान को सराहा गया।

स्वर्वेद यात्रा के प्रवर्तक, सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने अपने उद्घाटन भाषण में स्वर्वेद के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि स्वर्वेद हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। यह हमें न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अपने आत्मिक स्वभाव को समझने का अवसर देता है, बल्कि हमारी कर्मों को धर्म के रूप में परिवर्तित करने की क्षमता भी प्रदान करता है।

श्री विज्ञान देव जी महाराज के अनुसार, जब हम अपनी आत्मिक ध्वनि को सुनने की क्षमता प्राप्त करते हैं, तब हमें अपने जीवन के प्रत्येक कार्य में एक गहरी आस्था और उद्देश्य दिखाई देने लगता है। स्वर्वेद यात्रा के दौरान इस दिव्य संदेश को प्रत्येक श्रद्धालु ने आत्मसात किया और अपनी आस्थाओं को नये दृष्टिकोण से देखा।

इस आयोजन में चाईबासा और आसपास के क्षेत्रों से अनेक भक्त-शिष्य उपस्थित थे, जिनमें महेश राम निषाद, बसंत कुमार महतो, अबधेश कुमार, समाजसेवी राजू यादव, दुर्गा साव, छोटेलाल, सविता अग्रवाल, पुष्पा अग्रवाल के अलावा सोनुआ, चक्रधरपुर, मझगांव और चाईबासा से आए भक्त शामिल थे। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि लोगों को सामाजिक एकता और शांति के संदेश से भी अवगत कराया।

स्वर्वेद यात्रा के दौरान संत समाज ने सभी को ध्यान और साधना की ओर प्रवृत्त करने की प्रेरणा दी, ताकि हर व्यक्ति अपने जीवन में शांति और सुख का अनुभव कर सके।

यह कार्यक्रम न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि एक सामाजिक समरसता और मानवता की महत्वपूर्ण मिसाल भी प्रस्तुत करता है।

इस प्रकार, चाईबासा में निकली स्वर्वेद यात्रा ने ना केवल धार्मिक भावना को जागृत किया, बल्कि समाज में सौहार्द और भाईचारे की भावना को भी मजबूती दी।

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