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सारंडा में बेरोजगारी ———  वर्षों से अटकी नियुक्ति प्रक्रिया ने बढ़ाई बेरोजगारी—मों तबारक

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:सिंहभूम (पश्चिम) जिले के किरीबुरू, मेघाहातुबुरू, गुवा और चिरिया लौह अयस्क खदानों में बीते कई वर्षों से तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय नियोजनालय के माध्यम से कोई नियुक्ति नहीं हो सकी है। जबकि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि इन पदों पर नियुक्ति स्थानीय स्तर पर की जानी चाहिए। उक्त बातें झामुमों वरीय नेता मों तबारक ने बताते हुए गहरी संवेदना व्यक्त की है ।

उन्होंने सेल माईंस क्षेत्र आदिवासी बहुल क्षेत्र बताते हुए कहा है और विकास की दौड़ में पहले से ही सारंडा पिछड़ा हुआ माना जाता है।बावजूद इसके, रोजगार की सबसे बड़ी संभावना मानी जाने वाली खदानों में स्थानीय बेरोजगारों को अवसर नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय आदिवासी युवा बड़ी संख्या में आईटीआई, डिप्लोमा एवं अन्य तकनीकी शिक्षाएं प्राप्त कर चुके हैं ताकि उन्हें खदानों में रोजगार मिल सके। लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया बंद होने के कारण वे अपने घरों में बेरोजगार बैठे है

झारखण्ड ग्रुप ऑफ माईंस में 250-250 पदों पर तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति प्रक्रिया अविलंब प्रारंभ की जानी चाहिए— विपीन पूर्तिनोवामुंडी के झामुमों के वरीय नेता विपीन पूर्ति के अनुसार स्थानीय नवयुवक व आदिवासी युवा रोजगार के अभाव में अन्य राज्यों की ओर पलायन करने को विवश हैं। यह न सिर्फ इस क्षेत्र के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर रहा है, बल्कि विकास की गति को भी रोक रहा है। झामुमों नेता विपीन पूर्ति का आग्रह है कि किरीबुरू, मेघाहातुबुरू, गुवा और चिरिया के लौह अयस्क खदानों में कम से कम 250-250 पदों पर तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति प्रक्रिया अविलंब प्रारंभ की जानी चाहिए। इससे न केवल क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि आदिवासी समाज को भी सामाजिक-आर्थिक संबल मिलेगा। इस मामले में प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता और खदान प्रबंधन की लापरवाही के कारण हजारों युवा वर्षों से ठगे जा रहे हैं। जरूरत है कि संबंधित अधिकारी, विभाग और खनन कंपनियां इस विषय को गंभीरता से लें और माननीय न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ करें।

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