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आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा सरायकेला-खरसाँवां का पुनर्गठन, नये पदाधिकारियों का चयन* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड।सरायकेला में लगभग एक वर्ष पूर्व से प्रस्तावित आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा सरायकेला-खरसाँवां जिला और सरायकेला अनुमंडल कमिटी का पुनर्गठन किया गया। यह महत्वपूर्ण आयोजन शहीद फार्क स्थित पथ निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में हुआ, जहाँ आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा राष्ट्रीय कमिटी और ऑल इंडिया “हो” लैंग्वेज एक्शन के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सर्वसम्मति से नये पदाधिकारियों का चयन किया गया।

इस पुनर्गठन में सरायकेला जिला कमिटी के नये पदाधिकारियों के रूप में जिलाध्यक्ष नरेन्द्र सिजुई, जिला उपाध्यक्ष सुखराम सोय, जिला सचिव रानी बोदरा और जिला कोषाध्यक्ष विजय मुंडरी को चुना गया। वहीं, सरायकेला अनुमंडल कमिटी के लिए अध्यक्ष गोबिन्द हेम्ब्रम, अनुमंडल उपाध्यक्ष तारामनी बांदिया, अनुमंडल सचिव दुर्गा सिजुई और अनुमंडल कोषाध्यक्ष विशु रघु को सर्वसम्मति से चयनित किया गया।

 

राष्ट्रीय कमिटी और प्रदेश कमिटी की ओर से नये पदाधिकारियों को शुभकामनाएँ दी गई और उन्हें संगठन विस्तार, शपथ ग्रहण, सर्टिफिकेशन जैसी प्रक्रियाओं के बारे में मार्गदर्शन दिया गया। इस अवसर पर आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव गब्बरसिंह हेम्ब्रम और ऑल इंडिया “हो” लैंग्वेज एक्शन कमिटी के राष्ट्रीय महासचिव लक्ष्मीधरसिंह तियु ने एक विशेष अपील की। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर “हो” भाषा और लिपि के नाम को लेकर जो वाद-विवाद हो रहा है, उससे विचलित न हों। दोनों पक्षों से सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी भाषा का समय-समय पर संशोधन, विकास और संरक्षण प्रक्रिया चलती रहती है, और हमें इस बदलाव को स्वीकार करना होगा।

 

गब्बरसिंह हेम्ब्रम और लक्ष्मीधरसिंह तियु ने यह भी स्पष्ट किया कि “हो” भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन जारी रहेगा। इस वर्ष के दौरान नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन और सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसकी तिथि जल्द ही युवा महासभा और एक्शन कमिटी के बीच चर्चा करके तय की जाएगी।

इस आयोजन में मानकी-मुंडी संघ के जिलाध्यक्ष कोल झारखंड बोदरा, सालेन पाड़ेया, टाटा चातर, अमिषा गागराई, मेंजो हाईबुरू, आकाश बानसिंह, कुंवरसिंह पुरती, दीपक बोयपाई, पूजा बंकिरा, मनीष बांदिया समेत कई अन्य लोग उपस्थित थे।

 

यह पुनर्गठन आदिवासी “हो” समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, और आने वाले समय में “हो” भाषा और संस्कृति को लेकर सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होगा।

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