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आदिवासी उरांव समाज ने हर्षोल्लास के साथ मनाया सरहुल पर्व, परंपराओं के साथ प्रकृति और संस्कृति को संजोने का संदेश* 

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड:चाईबासा में आदिवासी उरांव समाज सरहुल पूजा समिति की ओर से मंगलवार को चाईबासा के सरहुल चौक, मेरी टोला में प्राकृतिक पर्व सरहुल धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय समाज के लोग परंपरागत वेशभूषा में सजे-धजे नजर आए। उत्सव की शुरुआत आदिवासी परंपराओं के अनुसार सरहुल शोभायात्रा के साथ की गई, जिसका उद्घाटन क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित अतिथियों ने किया।

समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व मंत्री बड़कुवार गगराई ने सभा को संबोधित करते हुए क्षेत्र की सुख-शांति, समृद्धि, हरियाली, अच्छी फसल और वैश्विक महामारी से बचाव के लिए मंगल कामनाएं की। उन्होंने कहा कि यह पर्व हमारे पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपरा का हिस्सा है, जिसे अब तक हम संजोकर रखते आए हैं।

यह उत्सव न केवल आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह हमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का भी संदेश देता है। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समुदाय का प्रकृति से गहरा और अटूट रिश्ता है, और इस पर्व के माध्यम से हम नई पीढ़ी को पर्यावरण के महत्व से अवगत कराते हैं।

पूर्व मंत्री ने समाज के लोगों से अपील की कि वे अपने आसपास के वातावरण की शुद्धता बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं, क्योंकि हमारा जीवन सीधे तौर पर प्रकृति से जुड़ा हुआ है। इस परंपरा के माध्यम से हम अपनी संस्कृति और प्रकृति को संरक्षित रखने के साथ-साथ समाज में सामूहिकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं।

उत्सव के दौरान शोभायात्रा का शुभारंभ नगाड़ा बजाकर किया गया, जो पूरे गांव में गूंज उठा। इस यात्रा में समाज के पुरुष, महिलाएं और बच्चे पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए। शोभायात्रा ने चाईबासा के विभिन्न प्रमुख मार्गों से होते हुए अपने-अपने अखाड़े में वापस लौटकर समारोह का समापन किया। इस दौरान समाज के युवा और महिलाएं नाच-गाकर एक-दूसरे को सरहुल की शुभकामनाएं देते रहे।

समाज के प्रमुख पदाधिकारियों द्वारा अतिथियों का स्वागत पगड़ी पहनाकर, अंग वस्त्र और पौधे देकर किया गया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री बड़कुवार गगराई, उपायुक्त कुलदीप चौधरी, उप विकास आयुक्त संदीप कुमार मीणा, अनुमंडल पदाधिकारी संदीप अनुराग टोपनो, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बहमन टूटी, चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष नितिन प्रकाश समेत उरांव समाज के पदाधिकारी और कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

समाज के पदाधिकारी जैसे संचू तिर्की, अनिल लकड़ा, बाबूलाल बरहा, दुर्गा खलखो, नवल कच्छप, लालू कुजूर, गणेश कच्छप, राजू तिग्गा, जीतू तिर्की, राजकमल लकड़ा, पंकज खलखो, शम्भू टोप्पो, कृष्णा टोप्पो, करमा लकड़ा, राजेश मिंज, धर्मा लकड़ा, रोहित खलखो, कारी तिर्की, सुखलाल कुजूर, सावन खलखो, अनंत शयनम, विष्णु प्रसाद, निर्मला लकड़ा, लक्ष्मी कच्छप, लक्ष्मी बरहा, ननकी लकड़ा, किरन नुनिया, सावित्री कच्छप और शाहिद चाईबासा के आठ अखाड़े के लोग भी इस महापर्व में सक्रिय रूप से शामिल हुए थे।

समाज की एकजुटता और उत्साह ने इस पर्व को और भी खास बना दिया, और यह एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे आदिवासी समाज अपनी संस्कृति, परंपराओं और पर्यावरण के संरक्षण को प्राथमिकता देता है।

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