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ईसाई धर्म से श्रीमती तिली कुई और उनके परिवार ने फिर अपनाया सरना धर्म

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड: पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित नोवामुंडी प्रखंड के जेटेया थाना क्षेत्र के ग्राम गितिकेंदु हेम्ब्रम टोला में एक अनूठा मामला सामने आया है, जहाँ 40 वर्षीय श्रीमती तिली कुई अपने सात बच्चों के साथ ईसाई धर्म छोड़कर पुनः सरना धर्म में लौट आई हैं। सोमवार को उनके आँगन में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुआ।

“हो” समाज युवा महासभा के जगन्नाथपुर अनुमंडल अध्यक्ष सह दियुरी बलराम लागुरी और सहायक दियुरी बुधराम अंगरिया की उपस्थिति में जॉन हेम्ब्रम द्वारा बोंगा-बुरू और आराः सांडि का मायोम जोरो कर (लाल मुर्गे की बलि देकर) सभी 8 सदस्यों को जाते-परचि (पवित्र) किया गया। इसके बाद, परंपरा के मुताबिक नामा चाटु (नया हांडी) में चाऊली और राम्बाः चढ़ाने की रस्में भी पूरी की गईं। वहीं, आदिंग में हाम हो दूम हो (पूर्वजों) के नाम पर बोंगा-बुरू किया गया।

धर्म परिवर्तन का कारण

 

श्रीमती तिली कुई के अनुसार, उनके पति स्वर्गीय सोनू हेम्ब्रम लंबी बीमारी से ग्रसित थे। उन्होंने कई बार मुर्गा-बकरी की बलि देकर पूजा करवाई, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। अंततः, उन्होंने चर्च-गिरजाघर में प्रार्थना से इलाज कराने की उम्मीद में ईसाई धर्म अपनाने का फैसला लिया। वह अपने बच्चों के साथ हर रविवार संत पॉल स्कूल, मालुका स्थित चर्च में प्रार्थना के लिए जाती थीं। वहीं, ग्रामीणों के अनुसार, सोनू हेम्ब्रम टीबी से पीड़ित थे और अस्पताल में समुचित इलाज न मिलने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

 

परंपरा से जुड़ाव और स्वेच्छा से धर्म वापसी

 

गांव में सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जागरूकता धीरे-धीरे बढ़ रही है, जिससे प्रेरित होकर श्रीमती तिली कुई ने अपनी 15 वर्षीय पुत्री सुशीला हेम्ब्रम, 13 वर्षीय पुत्री लेदगो हेम्ब्रम, 11 वर्षीय पुत्र दासो हेम्ब्रम, 9 वर्षीय पुत्री बलेमा हेम्ब्रम, 7 वर्षीय पुत्र माधो हेम्ब्रम, 5 वर्षीय पुत्र रोया हेम्ब्रम और 3 वर्षीय पुत्री नमसी हेम्ब्रम के साथ सोमवार को पुनः सरना धर्म अपनाने का निर्णय लिया। इस मौके पर उन्होंने यीशु मसीह का फोटो और धार्मिक पुस्तकों सहित अन्य प्रचार सामग्रियां धर्म-प्रचारकों को सप्रेम लौटा दीं।

गांव में धार्मिक पहचान को लेकर बढ़ती जागरूकता

 

गांव के लोगों में अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों के प्रति जुड़ाव बढ़ रहा है। यह घटना भी इस बात का संकेत देती है कि परंपरागत विश्वास और सामाजिक मूल्यों की ओर लोगों का झुकाव बढ़ रहा है। इस अवसर पर डाकुवा पराय अंगरिया, जामदार पिंगुवा, मंगलसिंह पिंगुवा, रान्दो लागुरी, जामदार हेम्ब्रम, किरण हेम्ब्रम, दिलीप हेम्ब्रम, संजय हेम्ब्रम, दुलु पिंगुवा, माधो पिंगुवा, मुचिया लागुरी, घनश्याम लागुरी, देवेंद्र लागुरी, मंगलसिंह लागुरी, जेमा बोबोंगा, मेंजो कुई, भजमति कुई, रानी कुई सहित अन्य ग्रामीण मौजूद थे।

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