वीर सिदो-कान्हू जयंती पर चंपाई सोरेन ने जाहेरस्थान में टेका माथा, आदिवासी अस्मिता की लड़ाई को आगे बढ़ाने का लिया संकल्प

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:सरायकेला में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने वीर सिदो-कान्हू जयंती के अवसर पर अपने गांव के जाहेरस्थान में सपरिवार माथा टेककर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने संथाल हूल के वीर योद्धाओं की विरासत को नमन करते हुए उनकी शुरू की गई आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व की लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया।
चंपाई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा, “आज वीर सिदो-कान्हू जयंती के अवसर पर अपने गाँव के जाहेरस्थान में परिवार सहित पूजा-अर्चना कर वीर शहीदों को नमन किया। उनकी लड़ाई को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ हमने वहाँ पौधारोपण भी किया।”
पोस्ट के साथ उन्होंने अपने पूजा-अर्चना और पौधारोपण की तस्वीरें व वीडियो भी साझा किए, जिसमें वे परिवार के सदस्यों और अन्य ग्रामीणों के साथ नजर आ रहे हैं।
संथाल हूल के महानायकों को श्रद्धांजलि
वीर सिदो-कान्हू को झारखंड के आदिवासी समाज में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत के रूप में माना जाता है। उन्होंने 1855 में संथाल हूल (विद्रोह) का नेतृत्व किया था, जिसमें हजारों संथाल आदिवासियों ने ब्रिटिश हुकूमत और जमींदारी प्रथा के खिलाफ संघर्ष किया था।
उनकी शहादत को याद करते हुए चंपाई सोरेन ने कहा, “वीर सिदो-कान्हू न केवल संथाल समाज, बल्कि पूरे झारखंड और देश के लिए प्रेरणा हैं। उनका संघर्ष आज भी हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने की ताकत देता है।”
पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश
इस मौके पर चंपाई सोरेन और उनके परिवार ने जाहेरस्थान परिसर में पौधारोपण भी किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण आदिवासी परंपरा का अभिन्न हिस्सा है और इसे संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने समाज के लोगों से अपील की कि वे भी अपने आस-पास अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और प्रकृति को संरक्षित करें।
“हिरला मरांग बुरू! जोहार जाहेर आयो!”
अपने पोस्ट के अंत में चंपाई सोरेन ने पारंपरिक संथाली अभिवादन “हिरला मरांग बुरू! जोहार जाहेर आयो!” लिखा, जो संथाल समाज में पवित्र स्थल और पूर्वजों को श्रद्धा व्यक्त करने का प्रतीक है।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण भी मौजूद रहे। जाहेरस्थान में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना की गई और वीर सिदो-कान्हू के बलिदान को याद किया गया।