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जमशेदपुर: टैंक रोड के मकान पर अवैध कब्जे का विवाद गहराया, अवैध रूप से मांगे 52 लाख रुपये

न्यूज़ लहर संवाददाता

झारखंड जमशेदपुर स्थित साकची: शहर के साकची स्थित टैंक रोड में 77 नंबर मकान  को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मकान के छत  पर जबरन कब्जा जमाए इंद्रजीत मुखर्जी अब घर खाली करने के बदले 52 लाख रुपये की अवैध तरीके से  मांग रहे हैं। आरोप है कि यह पूरा मामला जमशेदपुर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता मनोरंजन दास के भतीजे अधिवक्ता मनीष दास के इशारे पर हो रहा है।

 

कोर्ट के आदेश के बावजूद उक्त मकान के छत पर अवैध कब्ज़ा बरकरार

प्रभाती  चटर्जी के अनुसार, 21 सितंबर 2019 को अदालत ने आदेश दिया था कि इंद्रजीत मुखर्जी को यह उक्त कब्जा  खाली करना होगा। हाॅलाकि, उस समय अधिवक्ता मनीष दास ने उनकी ओर से पैरवी करते हुए उमा चटर्जी से निवेदन किया था  कि इंद्रजीत मुखर्जी को तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया जाए। यह भी कहा गया कि वह अस्थायी रूप से छत पर बनाए गए अल्बेस्टर के कमरे में रह सकते हैं, लेकिन तय अवधि के बाद मकान  को पूरी तरह खाली कर देंगे।

समय सीमा खत्म, लेकिन कब्जा बरकरार

अब वर्षों बीत चुके हैं, लेकिन इंद्रजीत मुखर्जी मकान  खाली करने को तैयार नहीं हैं। जब उमा चटर्जी की बेटी प्रभाती चटर्जी  के अधिवक्ता ने मनीष दास से इस पर बात की और याद दिलाया कि तीन महीने की मोहलत समाप्त हो चुकी है, तब मनीष दास ने पहले 15 लाख रुपये की मांग रखी। बाद में जब अधिवक्ता ने फिर से घर खाली कराने की बात कही, तो मनीष दास ने टालमटोल करना शुरू कर दिया।

 

52 लाख रुपये की अवैध तरीके से मांग की

अब हालात ऐसे हो गए हैं कि इंद्रजीत मुखर्जी खुद मकान  खाली करने के बदले 52 लाख रुपये अवैध तरीके से  मांग रहे हैं। प्रभाती  चटर्जी और उनके वकील इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। उन्होंने साफ कहा है कि वह इस मामले को अदालत तक ले जाएंगे और कानूनी तरीके से अपना हक वापस लेंगे।

कानूनी कार्रवाई की तैयारी में मकान मालकिन

मकान  पर अवैध कब्जे  एवं अवैध तरीके से  52 लाख रुपये मांगने के इस गंभीर मामले को लेकर प्रभाती  चटर्जी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर ली है। उन्होंने अपने अधिवक्ता को कानूनी प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे दिया है।

 

प्रशासन से न्याय की उम्मीद

मकान  मालकिन  का कहना है कि वह वर्षों से इस कानूनी लड़ाई को झेल रहे हैं, लेकिन अब स्थिति हद से बाहर हो गई है। प्रशासन और न्यायालय से उन्हें उम्मीद है कि उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिलेगा और उनके मकान का छत  कब्जामुक्त होगा।

 

शहर में चर्चा का विषय बना मामला

यह मामला अब शहर में चर्चा का विषय बन गया है। लोग आश्चर्यचकित हैं कि कैसे कोर्ट के आदेश के बावजूद कोई अवैध रूप से मकान के छत  पर कब्जा जमा सकता है और घर खाली करने के बदले मोटी रकम की मांग कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन और न्यायालय इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और प्रभाती  चटर्जी एवं  उनके परिवार को  हक कब तक मिलता है।

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