चाईबासा में ग्रामीणों का बाईपास सड़क निर्माण के खिलाफ जोरदार विरोध

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:चाईबासा स्थित खप्परसाई गांव के ग्रामीणों ने प्रस्तावित एनएच 75 ई (नई एनएच-20) के चाईबासा बाईपास सड़क निर्माण का पुरजोर विरोध करते हुए पारंपरिक ग्राम सभा का आयोजन किया। इस सभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें बहुफसली सिंचित कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण को असंवैधानिक और पारंपरिक अधिकारों के खिलाफ बताया गया।
सभा में खूंटकट्टी रैयतों और खूंटकट्टी रैयत रक्षा समिति के सदस्यों ने बताया कि दिनांक 14 जनवरी 2024 को प्रकाशित राजपत्र में अधिग्रहण की सूचना दी गई थी, जिसमें 21 दिनों की समय सीमा में आपत्तियां दर्ज कराने को कहा गया। ग्रामीणों ने तय समय में लिखित आपत्तियां दीं, बावजूद इसके प्रशासन द्वारा दबाव बनाकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।
इससे पहले 24 और 25 जनवरी 2024 को झारखंड पुनरुत्थान अभियान के तत्वावधान में ग्रामीणों ने प्रस्तावित सड़क मार्ग पर पैदल मार्च कर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें सैकड़ों की संख्या में रैयत शामिल हुए थे।
ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि यह सड़क निर्माण न सिर्फ खेती-किसानी पर असर डालेगा, बल्कि स्थानीय रैयतों की संस्कृति, जीवनशैली और पारंपरिक भूमि अधिकारों पर भी सीधा प्रहार है। प्रस्ताव छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, विल्किंसन रूल्स, पंचायत उपबंध अधिनियम 1996, वन अधिकार अधिनियम 2006 और संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत मिले संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण की भावना से प्रेरित है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कोल्हान क्षेत्र के 99% से अधिक रैयत अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं और उनके साथ प्रशासनिक स्तर पर भेदभाव किया जा रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 31 और 243 (क) का उल्लंघन है।
सभा में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रस्ताव की प्रति जिला प्रशासन, राज्य सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रपति को भेजी जाएगी, ताकि ग्रामीणों की संवैधानिक आवाज को उचित मंच मिल सके।
ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि वे अपने पारंपरिक अधिकारों से कोई समझौता नहीं करेंगे और उनकी लड़ाई संविधानिक मर्यादाओं के भीतर जारी रहेगी।