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10 मई को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन: न्याय की पहुंच आमजन तक सुनिश्चित करने को लेकर विधिक सेवा प्राधिकार की सक्रियता तेज*

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:चाईबासा में आम लोगों को त्वरित, सुलभ और निष्पक्ष न्याय दिलाने की दिशा में एक और अहम कदम उठाते हुए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन आगामी 10 मई 2025 (शनिवार) को किया जाएगा। इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकार पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा के अध्यक्ष सह प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मौहम्मद शाकिर के निर्देशानुसार एक आवश्यक बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक की अध्यक्षता प्राधिकार के सचिव रवि चौधरी ने की। इस बैठक में जिले के मध्यस्थ अधिवक्ताओं की उपस्थिति रही, जिनके साथ मिलकर आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत की रणनीति और रूपरेखा पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।

*सुलहनीय मामलों के निष्पादन पर विशेष जोर*
बैठक में श्री चौधरी ने विशेष रूप से यह बात रखी कि राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे के साथ-साथ पक्षकारों के बीच आपसी सुलह की भावना को बढ़ावा देना है। उन्होंने अधिवक्ताओं से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक सुलह योग्य मामलों को चिन्हित कर लोक अदालत में लाने हेतु लोगों को प्रेरित करें ताकि जनसामान्य को समय, श्रम और धन की बचत के साथ-साथ मानसिक शांति भी प्राप्त हो सके।

 

*न्याय तक आमजन की पहुँच – विधिक सेवा प्राधिकार की प्राथमिकता*
श्री चौधरी ने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकार का मूल उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाना है। इसके लिए निरंतर समीक्षा, जागरूकता अभियान और विधिक सहायता के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाते हैं। जरूरतमंदों, गरीबों, महिलाओं, वृद्धजनों और समाज के वंचित वर्गों को न्यायिक सहायता देने में प्राधिकार लगातार तत्परता से कार्य कर रहा है।

*दैनिक कार्यों की समीक्षा और समन्वय पर चर्चा*
बैठक में सचिव ने प्राधिकार के दैनिक कार्यों के सुचारू संचालन, निःशुल्क विधिक सहायता, लोक अदालत के प्रभावी क्रियान्वयन एवं समन्वय से संबंधित बिंदुओं पर भी चर्चा की। सभी मध्यस्थ अधिवक्ताओं से सकारात्मक सुझाव भी लिए गए और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता तथा गति लाने की बात कही गई।

*उपस्थित मध्यस्थ अधिवक्ताओं की सराहना*
इस अवसर पर सभी मध्यस्थ अधिवक्ताओं ने पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया और लोक अदालत की सफलता के लिए अपनी भूमिका को स्पष्ट किया।

श्री चौधरी ने अंत में कहा कि, “लोक अदालत न केवल एक वैकल्पिक विवाद निवारण माध्यम है, बल्कि यह न्याय प्रणाली पर पड़ रहे बोझ को कम करने और जनता में कानून के प्रति विश्वास बढ़ाने का एक सशक्त साधन है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि इसे सफल बनाएं और अधिक से अधिक लोगों तक इसकी जानकारी पहुँचाएं।

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