शरिया पहले, संविधान बाद में” बयान पर बवाल, चाईबासा में भाजपा का विरोध प्रदर्शन उग्र

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:झारखंड सरकार के मंत्री हफीजुल हसन के विवादास्पद बयान ने प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है। मंत्री द्वारा मंच से यह कहना कि “मेरे लिए शरिया पहले है, संविधान बाद में”—विरोधियों के निशाने पर आ गया है। भाजपा ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
चाईबासा में शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार के मंत्री हफीजुल हसन के बयान के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया। पुराने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष आयोजित इस प्रदर्शन का नेतृत्व भाजपा जिलाध्यक्ष संजय पांडे ने किया।
प्रदर्शन में पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई, सांसद प्रतिनिधि पवन शर्मा, महामंत्री प्रताप कटियार समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए। इस मौके पर राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त को सौंपा गया, जिसमें मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की गई।
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने इस बयान को “राष्ट्रद्रोह” बताते हुए कहा कि जब कोई मंत्री संविधान की रक्षा की शपथ लेता है, तो उसे किसी अन्य कानून को प्राथमिकता देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने हेमंत सोरेन से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
वहीं, सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ा ने इसे तुष्टिकरण की पराकाष्ठा बताया और कहा कि राज्य में बहुसंख्यक समाज को योजनाबद्ध तरीके से अपमानित किया जा रहा है।
भाजपा नेता अनूप सुल्तानिया और रामानुज शर्मा ने आरोप लगाया कि यह बयान एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है, जो समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा सकता है। गीता बालमूचू ने सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो जनता खुद निर्णय लेगी।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं में हेमंत केसरी, रविशंकर विश्वकर्मा, मृदुला निषाद, रूपा दास, प्रसन्न बिरुवा, पप्पू महतो, अक्षय खत्री, अनु विश्वकर्मा, दिलीप साव सहित अनेक लोग शामिल थे।
इस बयान ने राज्य में यह बहस छेड़ दी है कि क्या कोई मंत्री निजी धार्मिक मान्यताओं को संविधान से ऊपर रख सकता है? आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में और अधिक तूल पकड़ सकता है।