कोल्हान में भूमि अधिग्रहण को लेकर आदिवासियों का विरोध तेज, सदर कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड :कोल्हान क्षेत्र में हो रहे कथित मनमाने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आदिवासी समाज ने झारखंड पुनरुत्थान अभियान के बैनर तले सोमवार को सदर अनुमंडल कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का नेतृत्व जिला संयोजक अमृत मांझी ने किया।
प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि जिला भू-अर्जन पदाधिकारी और सदर अंचल अधिकारी कोल्हान क्षेत्र की संवैधानिक, पारंपरिक और ऐतिहासिक विशिष्टताओं की अनदेखी कर प्रशासनिक प्रक्रिया चला रहे हैं। मुख्य वक्ता सन्नी सिंकु ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र 1833 से गैर-विनियमित क्षेत्र रहा है, जिसे ‘विलकिंसन नियमों’ के तहत मानकी-मुंडा प्रणाली से स्वशासित करने की मान्यता दी गई थी। बावजूद इसके, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में न ग्रामसभा की सहमति ली जा रही है, न ही रैयतों और मानकी-मुंडाओं से कोई परामर्श हो रहा है।
पूर्व सांसद व झारखंड पुनरुत्थान अभियान के संस्थापक दुर्गा प्रसाद जमुदा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में विकास की रूपरेखा पंचशील सिद्धांतों और संविधान द्वारा प्रदत्त कानूनों जैसे वन अधिकार अधिनियम 2006, पेसा अधिनियम 1996 और भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुरूप होनी चाहिए।
धरना में खूंटकट्टी रैयत रक्षा समिति, हो समाज महासभा, झारखंड पार्टी, भारत आदिवासी पार्टी सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। रैयत संघर्ष समन्वय समिति के सुमंत सिंकु ने पूर्व पदाधिकारी की कार्यप्रणाली को आदर्श बताते हुए वर्तमान प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया।
कातीगुटु, टोटो, तालाबुरू जैसे कई गांवों से आए ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने परंपरागत अधिकारों की अनदेखी की, तो आदिवासी समाज उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा।