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कांग्रेस ने हमेशा बाबासाहेब का अपमान किया, जबकि भाजपा के समर्थन वाली सरकार ने उन्हें “भारत रत्न” दिया: चम्पाई सोरेन* *आदिवासी परंपराओं को छोड़ कर धर्म बदलने वालों तथा दूसरे धर्म में शादी करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिले : चम्पाई सोरेन* *हम भाजपा वाले संविधान को जेब में नहीं, बल्कि अपने दिल में रखते हैं: चम्पाई सोरेन*

 

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:लोहरदगा में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने आज तल्ख अंदाज में कांग्रेस को आदिवासी एवं झारखंड विरोधी बताते हुए कहा कि बाबासाहेब को अपमानित करने वाले लोग आज जेब में संविधान रख कर, उनके करीबी दिखने का ढोंग कर रहे हैं। जबकि हम भाजपा वाले संविधान को जेब में नहीं, बल्कि अपने दिल में रखते हैं।

लोहरदगा टाउन हॉल में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा द्वारा आयोजित “भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर सम्मान अभियान” की संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इसी कांग्रेस ने बाबासाहेब को दो-दो बार लोकसभा चुनावों में हरवाया था और दोनों चुनावों में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अंबेडकर जी के खिलाफ चुनाव प्रचार किया था।

उन्होंने कहा कि उन्हें राजनैतिक रूप से हाशिये पर धकेलने का प्रयास करने वाले इन कांग्रेसियों ने लगातार उनका अपमान किया। उन्हें भारत रत्न भी तभी मिल पाया, जब केंद्र में भाजपा के समर्थन वाली सरकार सत्ता में आई।

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को एक अर्थशास्‍त्री, शिक्षाविद्, विधिवेत्‍ता और महान समाज सुधारक बताते हुए उन्होंने उन्हें महिलाओं एवं वंचित वर्गो के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाला बताया।

कांग्रेस के आदिवासी विरोधी रवैये का जिक्र करते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आदिवासी धर्म कोड को 1961 में हटा दिया। झारखंड आंदोलन के दौरान कई बार आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसा कर, आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। उस पार्टी के साथ गठबंधन कर के कोई भी आदिवासियों अथवा झारखंड का भला करने के बारे में सोच ही नहीं सकता।

महान आदिवासी नेता एवं लोहरदगा के सांसद रहे कार्तिक उरांव को याद करते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि सन 1967 में उन्होंने संसद में डीलिस्टिंग विधेयक पेश किया था, जिसमें धर्म बदलने वाले आदिवासियों से आरक्षण छीनने की मांग की गई थी। उस विधेयक को तत्कालीन सरकार ने संसदीय समिति को भेजा था, जिसने आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा हेतु डीलिस्टिंग को जरूरी बताया था। लेकिन इसके बाद भी, जब कुछ नहीं हुआ तो बाबा कार्तिक उरांव ने 322 सांसदों तथा 26 राज्यसभा सांसदों से अनुशंसा पत्र हस्ताक्षरित करवाया था, लेकिन इसके बावजूद, ईसाई मिशनरियों के दबाव में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

झारखंड आंदोलन के दिनों को याद करते हुए चम्पाई सोरेन ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस की सरकारें हमारे आंदोलन को कुचलने के लिए हर संभव प्रयास कर रही थीं, उसी दौरान 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने दुमका में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि आप हमारी सरकार बनवा दीजिए, हम अलग राज्य बनवा देंगे। जनता ने उन्हें सत्ता सौंपी, तो उन्होंने भी अपना वादा निभाते हुए हमें अलग राज्य का तोहफा दिया। मुझे यह कहने में तनिक भी गुरेज नहीं है कि अगर अटल जी की सरकार नहीं बनी होती, तो शायद हमें अलग झारखंड राज्य नहीं मिला होता।

झारखंड के विभिन्न हिस्सों एवं विशेष कर संथाल परगना में बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ तथा धर्मांतरण की तेज रफ्तार पर चिंता जताते हुए उन्होंने इसके लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अगर धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो भविष्य में हमारे सरना स्थलों पर पूजा करने वाला कोई नहीं बचेगा।

उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमारी आदिवासी परंपराओं और जीवन शैली को छोड़ कर धर्म बदलने, तथा दूसरे धर्म में शादी करने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद सुदर्शन भगत, पूर्व विधायक रामचंद्र नायक तथा भाजपा कार्यकर्ताओं समेत बड़ी संख्या में आम लोग मौजूद थे।

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