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कोल्हान विश्वविद्यालय में उर्दू-हिंदी विभाग द्वारा ग़ालिब पर संगोष्ठी, अज़ीम शायर को दी गई श्रद्धांजलि

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:चाईबासा में कोल्हान विश्वविद्यालय के उर्दू और हिंदी विभाग की ओर से गुरुवार को महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की याद में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। “ग़ालिब: एक अज़ीम शायर” विषय पर आयोजित इस सेमिनार की शुरुआत कोल्हान के पारंपरिक लोकगीतों के संग हुई, जिससे सांस्कृतिक वातावरण सजीव हो उठा।

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. शबनम परवीन ने सभी अतिथियों, छात्रों एवं वक्ताओं का स्वागत करते हुए कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट किया। इस अवसर पर अतहर महमूद और माह पारा ने मिर्ज़ा ग़ालिब की जीवनी पर अपने लेख प्रस्तुत किए, जिसमें उनके जीवन संघर्ष और रचनात्मक ऊँचाइयों का उल्लेख किया गया।

टाटा कॉलेज के उर्दू विभाग के प्रोफेसर दानिश हम्माद ने ग़ालिब की ग़ज़ल की दो पंक्तियों का विश्लेषण करते हुए उनकी शायरी की गहराई और प्रभावशीलता को छात्रों के समक्ष रखा। वहीं करीम सिटी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अफसर काज़मी ने 1857 की क्रांति के दौरान ग़ालिब के जीवन पर उसके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की और उस ऐतिहासिक दौर में उनके दृष्टिकोण को समझाया।

विभागाध्यक्ष डॉ. भारती कुमारी ने मिर्ज़ा ग़ालिब की साहित्यिक महानता को रेखांकित करते हुए उर्दू भाषा के प्रति उनके प्रेम को छात्रों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि ग़ालिब केवल एक शायर नहीं थे, बल्कि उर्दू साहित्य के स्तंभ हैं जिनकी लेखनी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।

प्रोफेसर संतोष कुमार ने इस संगोष्ठी को गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक बेहतरीन मिसाल बताते हुए भाषायी और सांस्कृतिक एकता पर जोर दिया। मंच का संचालन जबीना परवीन ने अत्यंत प्रभावशाली ढंग से किया।

इस कार्यक्रम में फरदीन, अनम, सोफिया, अनीता टोपनो, सानिया सहित हिंदी और उर्दू विभाग के अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। संगोष्ठी का माहौल ग़ालिब की शायरी की खुशबू से सराबोर रहा और छात्र-छात्राओं ने इसे एक अविस्मरणीय अनुभव बताया।

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