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मध्यस्थता से न्याय होगा और भी सुलभ: चाईबासा में जिला जज की अध्यक्षता में रेफरल जजों व अधिवक्ताओं की बैठक* *न्यायालयीन प्रक्रिया के बोझ को कम करने और त्वरित न्याय की दिशा में मध्यस्थता को बताया कारगर विकल्प*

 

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: चाईबासा व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित सभागार में शनिवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद शाकिर की अध्यक्षता में रेफरल जजों और मध्यस्थ अधिवक्ताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य न्याय प्रणाली में मध्यस्थता (मेडिएशन) को अधिक प्रभावशाली और सुलभ बनाने पर विचार-विमर्श करना था।

यह बैठक झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा), रांची के निर्देशानुसार आयोजित की गई थी।
जिला जज शाकिर ने कहा कि “मध्यस्थता वह माध्यम है, जिससे किसी विवाद का समाधान आपसी समझौते और संतोषजनक तरीके से किया जा सकता है। इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि दोनों पक्ष समाधान से संतुष्ट होकर लौटते हैं।” उन्होंने बताया कि मध्यस्थता न्याय का एक मानवीय और सकारात्मक पहलू है, जिसमें नकारात्मकता की कोई गुंजाइश नहीं रहती।

उन्होंने प्रशिक्षित अधिवक्ताओं से अपील की कि वे मध्यस्थता प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें, और इस प्रक्रिया को और अधिक व्यवहारिक तथा प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य करें।
साथ ही, रेफरल जजों को भी संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे सुलहनीय मामलों को प्राथमिकता के साथ मध्यस्थता कक्ष में रेफर करें, ताकि अधिक से अधिक मामले बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के ही हल हो सकें।

बैठक में मौजूद रेफरल जजों और प्रशिक्षित अधिवक्ताओं ने भी मध्यस्थता की उपयोगिता पर अपने विचार रखे और इस प्रणाली को और मजबूत बनाने के लिए अपने सुझाव साझा किए।

इस महत्वपूर्ण बैठक की जानकारी जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा), चाईबासा के सचिव रवि चौधरी द्वारा दी गई। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में भी मध्यस्थता प्रक्रिया को लोकप्रिय बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम और प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे।

यह बैठक न्याय को जन-जन तक सरल और सहज रूप में पहुंचाने के प्रयासों की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।

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