Regional

पीजेएसएसवीएम चाईबासा में संकुल स्तरीय शिशु वाटिका आचार्य कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:चाईबासा में पद्मावती जैन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर (पीजेएसएसवीएम), चाईबासा में आयोजित दो दिवसीय संकुल स्तरीय शिशु वाटिका आचार्य कार्यशाला का रविवार को सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस अवसर पर समापन समारोह का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामध्यान मिश्र, कोषाध्यक्ष दिलीप कुमार गुप्ता, सदस्य अनंतलाल विश्वकर्मा, सुजीत विश्वकर्मा तथा प्रभारी प्रधानाचार्य अरविंद कुमार पांडेय ने भारत माता और महारानी अहिल्याबाई होलकर के चित्र पर दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पित कर किया।

कार्यशाला के दौरान अतिथियों का परिचय प्रभारी प्रधानाचार्य ने कराया, जबकि वृत कथन जमुना कोया ने प्रस्तुत किया। उन्होंने जानकारी दी कि इस कार्यशाला में चाईबासा संकुल से 18, सरायकेला से 5 तथा जगन्नाथपुर से 13, कुल 36 आचार्याओं ने सहभागिता की।

प्रथम दिन के प्रथम सत्र में ‘चित्र पुस्तकालय’ के माध्यम से शब्द और चित्र के सहारे शिक्षण कार्य जमुना दीदी द्वारा कराया गया। दूसरे सत्र में अंजली दीदी ने ‘वस्तु संग्रहालय’ तथा ‘गिनती के खेल’ के जरिये खेल-खेल में पढ़ाई का तरीका सिखाया। तीसरे सत्र में सुमित्रा दीदी और जमुना दीदी ने ‘क्रीड़ांगन गतिविधियों’ के तहत संतुलन आधारित खेलों जैसे टेढ़ी-मेढ़ी रेखा पर चलना, टायर व रिंग खेलाना सिखाया। चौथे सत्र में सुकृति दीदी और मनीषा दीदी ने ‘रंगमंच’ के माध्यम से कहानी और गीतों के जरिये बच्चों को शिक्षण की विधि बताई।

दूसरे दिन कार्यशाला का शुभारंभ भी दीप प्रज्वलन, पुष्पार्चन और हवन अग्निहोत्र के साथ हुआ। इस दिन पहले सत्र में सुकृति दीदी ने ‘विज्ञान प्रयोगशाला’ विषय के अंतर्गत जल के तीन रूप, हल्की-भारी वस्तुओं की पहचान और वायु के स्थान घेरने की गतिविधियों को सिखाया। दूसरे सत्र में ‘भाषा विज्ञान’ विषय पर मिट्टी से वस्तु निर्माण, शब्द लेखन एवं अन्य शैक्षिक गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया गया।

अनुभव कथन सत्र में पंप रोड चक्रधरपुर की आचार्या मीना कुमारी ने विद्यालय की व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए इसे अपना एक नया और प्रेरणादायक अनुभव बताया। सरायकेला संकुल की आचार्या सुष्मिता दीदी ने भी कार्यशाला से मिली शिक्षा को अत्यंत लाभकारी बताया। वहीं जगन्नाथपुर की आचार्या बेबी सिंह ने कार्यशाला के दौरान सिखाई गई नई शिक्षण तकनीकों को अत्यंत उपयोगी और ग्राह्य बताया।

शिशु वाटिका की क्षेत्रीय प्रमुख मंजू श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि शिशु वाटिका एक व्यापक अवधारणा है, जिसे दो दिनों में समेट पाना कठिन है। फिर भी इस कार्यशाला में छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए आवश्यक सभी पहलुओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया।

समापन समारोह में कोषाध्यक्ष दिलीप कुमार गुप्ता ने आचार्याओं को साधुवाद देते हुए कहा कि छोटे बच्चों को पढ़ाना छोटे पौधे को सींचने जैसा है, जिसके लिए धैर्य और समर्पण अनिवार्य है। अध्यक्ष रामध्यान मिश्र ने अपने आशीर्वचन में आचार्याओं को शुभकामनाएँ दीं और कार्यशाला में सीखी गई विधियों को अपने विद्यालय में लागू करने की अपेक्षा व्यक्त की।

कार्यक्रम का संचालन सरायकेला शिशु मंदिर की आचार्या नमिता महतो ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रभारी प्रधानाचार्य अरविंद कुमार पांडेय ने किया। अंत में शांति मंत्र के साथ दो दिवसीय कार्यशाला का विधिवत समापन हुआ।

Related Posts