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अक्षय तृतीया पर मां तारा मंदिर निर्माण के लिए हुआ भूमि पूजन, समाजसेवियों व श्रद्धालुओं की रही भावपूर्ण उपस्थिति* *टुंगरी की पावन धरती पर उठाया गया आध्यात्मिक धरोहर की स्थापना का पहला कदम*

 

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर चाईबासा शहर को एक नई धार्मिक पहचान देने जा रही मां तारा मंदिर की नींव आज आधिकारिक रूप से रख दी गई। टुंगरी स्थित प्रस्तावित मंदिर स्थल पर सुबह विधिपूर्वक भूमि पूजन का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के प्रमुख उद्योगपति, समाजसेवी, धर्मप्रेमी एवं गणमान्य नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।

भूमि पूजन का शुभारंभ प्रातः 9:00 बजे प्रसिद्ध समाजसेवी सह उद्योगपति बनवारी लाल नवेटिया एवं उनकी धर्मपत्नी के कर-कमलों से हुआ। पूजन विधि शास्त्रोक्त मंत्रोच्चार के साथ पंडितों द्वारा सम्पन्न कराई गई। विशेष बात यह रही कि शहर के वरिष्ठ उद्योगपति व परोपकारी व्यक्तित्व के धनी मुकुंद रूंगटा ने मां तारा मंदिर की आधारशिला स्वरूप पहली ईंट रखी, जिसे उपस्थित जनसमूह ने एक शुभ संकेत और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना।

पूजन के उपरांत दोपहर 12:00 बजे से श्रद्धालुओं के लिए भंडारा एवं प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई थी, जिसमें सैकड़ों की संख्या में धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं ने सहभागिता की। भंडारा स्थल पर श्रद्धा, सेवा और सद्भाव का अनूठा संगम देखने को मिला।

मां तारा मंदिर निर्माण कमेटी के सदस्यों ने बताया कि यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि शहरवासियों के लिए ध्यान, साधना और सांस्कृतिक जागरूकता का मंच भी प्रदान करेगा। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक सह समिति के सचिव रितेश चिरानिया एवं सामाजिक कार्यकर्ता ललित शर्मा की अगुवाई में पूरी समिति ने अतिथियों का स्वागत किया और मंदिर निर्माण की योजना से जुड़ी विभिन्न जानकारी साझा की।

समिति ने यह भी बताया कि मंदिर निर्माण पूरी तरह समाज के सहयोग से किया जाएगा और इसके लिए दानदाता खुलकर आगे आ रहे हैं। मंदिर की वास्तुशिल्प शैली पारंपरिक भारतीय स्थापत्य की होगी, जिसमें मां तारा की दिव्य मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा विशेष अनुष्ठान के साथ की जाएगी।

इस पुनीत अवसर पर कई स्थानीय संत, धर्माचार्य, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं उत्साहित श्रद्धालु उपस्थित थे। समूचा वातावरण भक्तिभाव, उल्लास और सांस्कृतिक गरिमा से ओत-प्रोत हो उठा।

टुंगरी के इस ऐतिहासिक क्षण ने यह संकेत दिया कि चाईबासा अब एक नई आध्यात्मिक पहचान की ओर अग्रसर हो रहा है। आने वाले समय में यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा।

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