मारवाड़ी महिला सम्मेलन सृजन शाखा द्वारा अक्षय तृतीया पर स्थायी प्याऊ का उद्घाटन, राहगीरों को मिलेगी राहत* *गर्मियों में सेवा और संवेदना की मिसाल बनीं सम्मेलन की सदस्याएं*

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड:चाईबासा में समाजसेवा और परोपकार के अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हुए अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन, चाईबासा सृजन शाखा ने अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर एक अत्यंत सराहनीय पहल की। आज प्रातः 11:30 बजे शहर के अमला टोला स्थित पुराने व्हील्स शोरूम के समीप एक स्थायी प्याऊ का उद्घाटन किया गया, जो आगामी गर्मी के मौसम में राहगीरों और आम नागरिकों के लिए शीतल जल का स्थायी स्रोत बनकर उनकी प्यास बुझाएगा।
कार्यक्रम का आयोजन अत्यंत भावनात्मक एवं सेवा भाव से ओतप्रोत रहा। शाखा की अध्यक्ष रुचि चौबे की अगुवाई में यह प्याऊ स्थापित किया गया, जिसमें शाखा की सक्रिय सदस्यों – कोषाध्यक्ष श्वेता नरेड़ी, श्रुति अग्रवाल, नेहा शर्मा, उर्मिला गर्ग तथा प्रेस प्रभारी स्वाति पाड़िया की विशेष भूमिका रही।
शाखा की सदस्यों ने बताया कि यह पहल सिर्फ एक दिन की नहीं, बल्कि आने वाले समय में भी सेवा के इस संकल्प को जारी रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी के इस मौसम में राहगीरों, दुकानदारों, श्रमिकों और बच्चों को ताजे ठंडे जल की जरूरत होती है। इस आवश्यकताकी पूर्ति हेतु स्थायी प्याऊ का निर्माण समाज के लिए एक छोटा किन्तु महत्वपूर्ण योगदान है।
इस अवसर पर उपस्थित सभी सदस्याओं ने सामूहिक रूप से कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य सिर्फ कार्यक्रम करना नहीं, बल्कि समाज के ज़रूरतमंद तबकों तक सहायता पहुंचाना है। यही कारण है कि चाईबासा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे स्थायी प्याऊ लगाने की योजना बनाई गई है, जिससे समाज के हर वर्ग को लाभ हो।
कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों ने भी इस पहल की सराहना की और सम्मेलन की टीम को धन्यवाद ज्ञापित किया। राहगीरों ने प्याऊ की उपयोगिता को देखते हुए इसे एक “समय की मांग” बताया और कहा कि यह कार्य समाज में सकारात्मक उदाहरण स्थापित करता है।
रुचि चौबे ने अंत में कहा कि “हमारा लक्ष्य केवल जल उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि समाज में संवेदनशीलता और सेवा की संस्कृति को बढ़ावा देना है। अगर हमारे इस प्रयास से किसी एक व्यक्ति की भी प्यास बुझती है, तो हमारा उद्देश्य सफल है।”
अक्षय तृतीया जैसे शुभ दिन पर यह सेवा कार्य, न केवल पुण्य का कार्य है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सेवा और मानवीय मूल्यों का संदेश भी है।