सांस्कृतिक चेतना का संकल्प: आनंदपुर में झंडा पुनर्स्थापना कार्यक्रम में बोले विधायक जगत माझी— “युवा पीढ़ी को भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए करें प्रेरित”*

न्यूज़ लहर संवाददाता
झारखंड: पश्चिम सिंहभूम जिला में कुडुख सरना पड़हा सद बमड़ी आनंदपुर के तत्वावधान में बुधवार को पारंपरिक श्रद्धा और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक झंडा पुनर्स्थापना कार्यक्रम भव्य रूप से आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्रीय विधायक जगत माझी उपस्थित हुए। पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार समिति की ओर से विधायक का पारंपरिक नृत्य और गीतों के साथ स्वागत किया गया।
विधायक ने पूजा स्थल में विधिवत पूजा-अर्चना कर क्षेत्रवासियों के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। झंडा पुनर्स्थापना का कार्य गझू बरूवा और बसंती बरूवा के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस आयोजन में क्षेत्रीय संस्कृति, सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की गूंज स्पष्ट सुनाई दी।
*युवाओं को जागरूक करना समय की मांग: जगत माझी*
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक जगत माझी ने कहा कि वर्तमान समय में हमारी भाषा, संस्कृति और सामाजिक पहचान को बचाने के लिए युवा पीढ़ी को जागरूक करना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन कर जाते हैं, लेकिन वापसी पर अपनी मूल संस्कृति, रीति-रिवाज और पारंपरिक जीवनशैली को भूलने लगते हैं, जो चिंता का विषय है।
उन्होंने समाज के प्रबुद्धजनों से आह्वान किया कि वे नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा, पारंपरिक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के प्रति प्रेरित करें। साथ ही उन्होंने शिक्षा पर बल देते हुए कहा, “शिक्षा के बिना समाज का समग्र विकास संभव नहीं है। प्रत्येक बच्चे को शिक्षा से जोड़ना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।”
*सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बढ़ाई शोभा*
कार्यक्रम में अर्चना ग्रुप, सीता ग्रुप, अंजू ग्रुप, अनिता एंड करिश्मा ग्रुप, अलबिना एंड मीना ग्रुप, सीता मिंज ग्रुप जैसे कई स्थानीय सांस्कृतिक समूहों द्वारा भजन और जतरा गीत की शानदार प्रस्तुतियां दी गईं। रंगारंग कार्यक्रमों में शामिल बच्चों को विधायक और अन्य अतिथियों ने पुरस्कृत कर उत्साहवर्धन किया।
*समाज की सक्रिय भागीदारी रही विशेष आकर्षण*
कार्यक्रम में कुडुख सरना जागरण मंच के अध्यक्ष रोबी लकड़ा, बुधेश्वर धनवार, सुनील तिर्की, कैलाश कुजूर, धर्मेंद्र बरूवा, जगरा तिर्की, मंगल सिंह एक्का, इदन उरांव, मनीष उरांव, अजय कच्छप, संजीव गंताइत, राजू सिंह सहित बड़ी संख्या में महिला और पुरुषों की भागीदारी रही, जिसने कार्यक्रम को सार्थक और प्रभावशाली बनाया।