झारखंड आवासीय विद्यालय, राहे में नामांकन में धांधली का आरोप, चयन समिति और अधिकारियों पर मिलीभगत का संदेह**

रांची। झारखंड के राहे प्रखंड स्थित आवासीय विद्यालय में नामांकन प्रक्रिया में धांधली और पक्षपात का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि विद्यालय में वैसे छात्रों का नामांकन किया गया है, जो संपन्न परिवारों से आते हैं, जबकि वास्तविक रूप से जरूरतमंद और पात्र छात्र-छात्राओं को नामांकन से वंचित कर दिया गया है। इस मामले में लाधूप विद्यालय की छात्रा मलिका कुमारी, पिता स्वर्गीय कणिलाल महतो, के नामांकन में अनियमितता की बात प्रकाश में आई है।
मलिका कुमारी के परिजनों ने चयन समिति और अधिकारियों पर पैसे लेकर नामांकन करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित नामांकन प्रक्रिया को दरकिनार कर मनमाने ढंग से नामांकन किया जा रहा है। परिजनों का आरोप है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी शांतिमनी और जिला शिक्षा पदाधिकारी विनय कुमार को जानकारी होने के बावजूद किसी प्रकार की निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की गई।
छात्रा के परिजनों ने इस संबंध में रांची जिला उपायुक्त मंजू भजंत्री और झारखंड सरकार की मुख्य सचिव अलका तिवारी को ज्ञापन सौंपा है। परिजनों का कहना है कि प्रखंड और जिला स्तर पर शिक्षा व्यवस्था में भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार व्याप्त है, जिससे गरीब और जरूरतमंद बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
मौके पर नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता अमर महतो ने भी कहा कि प्रखंड में निरीक्षण सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गया है और शिक्षक भी मनमानी करते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में सोनाहातू प्रखंड के वारेडीह हाई स्कूल में ग्रामीणों ने स्कूल में तालाबंदी की थी, वहीं राहे के डोकाद हाई स्कूल में जमीन विवाद को लेकर भी समस्या बनी हुई है, लेकिन जिला प्रशासन इन मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता।
सोनाहातू, राहे, सिली, तमाड़ समेत अन्य क्षेत्रों में भी शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। इस मुद्दे को लेकर सुमन बाड़ा, सुनीत उरांव, खूंटी जिला अध्यक्ष राजेश मुंडा, पिंटू मंडल, देवघर जिला अध्यक्ष प्रमोद हेंब्रम, प्रदेश सचिव प्रमोद ठाकुर, सरायकेला जिला अध्यक्ष कमल महतो सहित कई अन्य नेताओं ने जल्द ही झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार से मुलाकात कर शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार और मनमानी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने का निर्णय लिया है।
इसके अलावा, खूंटी, गुमला और सिमडेगा जैसे जिलों में एक भी विश्वविद्यालय नहीं है, जिससे इन जिलों के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए रांची जाना पड़ता है और उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। नेताओं ने कहा कि जल्द ही राज्यपाल से मिलकर झारखंड में तीन नए विश्वविद्यालय खोलने की मांग की जाएगी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को भी उच्च शिक्षा का लाभ मिल सके।
इस प्रकार, झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों में भारी आक्रोश है। सभी ने राज्य सरकार और प्रशासन से पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कार्रवाई की मांग की है, ताकि गरीब और जरूरतमंद बच्चों को उनका अधिकार मिल सके और शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सके।