एमजीएम अस्पताल हादसा: लापरवाही पर भाजपा ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर।कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में जर्जर भवन के कारण बड़ा हादसा हो गया। शनिवार को अस्पताल के महिला प्रसूति विभाग की छत गिरने से तीन मरीजों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। इस घटना के बाद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र सिंह ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के उपाधीक्षक से मिलकर अस्पताल के नए भवन में स्थानांतरण को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि साकची स्थित एमजीएम अस्पताल का भवन वर्षों से जर्जर है। 2023 में ही भवन निर्माण विभाग ने इसे असुरक्षित घोषित कर दिया था, बावजूद इसके मरीजों का इलाज जारी रहा। हाल ही में प्रसूति विभाग की छत गिरने से तीन मरीजों की मौत और कई के घायल होने की घटना ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है।
देवेंद्र सिंह ने सवाल उठाया कि 18 महीने पहले मांनगो स्थित एमजीएम कॉलेज के पास नया अस्पताल भवन बनकर तैयार हो गया था, फिर भी मरीजों को वहां शिफ्ट क्यों नहीं किया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में केंद्र सरकार के सहयोग से एलएनटी कंपनी द्वारा नए भवन का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन पिछली और वर्तमान सरकार ने इसे चालू करने में गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और वर्तमान मंत्री डॉ. इरफान अंसारी पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए दोनों के खिलाफ फौजदारी मुकदमा दर्ज करने की मांग की। देवेंद्र सिंह ने कहा कि अस्पताल में जो भी मरीज दबकर मरे हैं, उसके लिए राज्य सरकार और संबंधित मंत्री जिम्मेदार हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता उपेंद्र गिरी, वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश पांडे, अधिवक्ता प्रभा शंकर तिवारी, अधिवक्ता आरके मिश्रा, विजय कुमार शर्मा आदि भी दौरे में शामिल थे। उन्होंने अस्पताल के कई हिस्सों में छज्जा और प्लास्टर गिरा देखा, जिससे डॉक्टर, नर्स और मरीज घायल हो रहे हैं।
घटना के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। साथ ही, जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसे 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।