अस्वस्थ झामुमो प्रवक्ता बुधराम लागुरी की अनदेखी बनी चर्चा का विषय* *चाईबासा में पार्टी नेतृत्व की चुप्पी पर उठे सवाल, समर्थकों में असंतोष*

न्यूज़ लहर संवाददाता
चाईबासा: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता एवं जिला प्रवक्ता बुधराम लागुरी के अस्वस्थ होने की खबर इन दिनों चाईबासा शहर और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का प्रमुख विषय बनी हुई है। वे पिछले दो दिनों से डॉ. अरुण कुमार नर्सिंग होम, चाईबासा में इलाजरत हैं, लेकिन पार्टी के प्रमुख नेताओं की बेरुखी को लेकर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप है कि जिले में झामुमो के चार विधायक और एक सांसद होने के बावजूद पार्टी प्रवक्ता की तबीयत खराब होने पर अब तक कोई प्रमुख नेता उनसे मिलने नहीं आया। यह स्थिति तब है जब झामुमो समर्थित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर श्री लागुरी की बीमारी को लेकर लगातार पोस्ट साझा की जा रही हैं।
*कार्यकर्ता रीढ़, लेकिन व्यवहार में दूरी?*
विपक्ष का तंज है कि चुनावों के दौरान यही नेतागण कार्यकर्ताओं को “पार्टी की रीढ़” बताते हैं और हर संभव समर्थन मांगते हैं, लेकिन आज जब एक समर्पित कार्यकर्ता अस्वस्थ हैं, तो अधिकांश शीर्ष नेतृत्व मौन है।
*अब तक किन लोगों ने की मुलाकात*
हालांकि, झामुमो जिला समिति के अध्यक्ष सोनाराम देवगम, सचिव राहुल आदित्य, संयुक्त सचिव विश्वनाथ बाड़ा, पूर्व जिला परिषद सदस्य बामिया माझी, भाजपा नेता सुरा लागुरी, अधिवक्ता सह झामुमो नेता कैशर परवेज, तथा अधिवक्ता हरीश सांडिल जैसे कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अस्पताल पहुंचकर श्री लागुरी से मुलाकात की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
वहीं, चाईबासा विधायक व राज्य सरकार में मंत्री दीपक बिरुवा ने फोन पर उनकी कुशलता पूछी और बेहतर इलाज का आश्वासन दिया, परंतु समाचार लिखे जाने तक वे व्यक्तिगत रूप से अस्पताल नहीं पहुंचे थे।
*संगठन के लिए समर्पित सेवा*
गौरतलब है कि बुधराम लागुरी झामुमो में एक लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। वे 18 वर्ष पहले भी जिला प्रवक्ता और झारखंड युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं। हाल ही में झामुमो जिला समिति के पुनर्गठन के बाद उन्हें दोबारा जिला प्रवक्ता नियुक्त किया गया।
बीमारी की स्थिति में भी श्री लागुरी पार्टी के लिए लगातार प्रेस विज्ञप्तियों के माध्यम से विपक्ष के आरोपों का जवाब दे रहे हैं, जिससे उनके प्रति कार्यकर्ताओं का सम्मान और सहानुभूति और भी बढ़ी है।
*क्या दिखेगा नेतृत्व का मानवीय चेहरा?*
अब यह देखना शेष है कि झामुमो के जिले के विधायक और सांसद अपने पुराने और समर्पित नेता की स्थिति को लेकर क्या कदम उठाते हैं। फिलहाल तो यह घटना पार्टी के अंदर संगठनात्मक समरसता और नेतृत्व की संवेदनशीलता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रही है।