चाईबासा में निर्माण कार्यों में घटिया फ्लाई ऐश ईंटों के इस्तेमाल पर उठे सवाल* *बीजेपी नेता हेमन्त केशरी ने उपायुक्त से की गुणवत्ता जांच की मांग*

न्यूज़ लहर संवाददाता
चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिले में चल रहे निर्माण कार्यों में उपयोग किए जा रहे फ्लाई ऐश (काला ईंटा) की गुणवत्ता पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा जाति मोर्चा के प्रदेश मंत्री हेमन्त कुमार केशरी ने इस संबंध में जिला उपायुक्त को एक लिखित आवेदन सौंपा है, जिसमें उन्होंने निर्माण कार्यों में घटिया ईंटों के प्रयोग पर गंभीर चिंता जताई है।
श्री केशरी ने अपने पत्र में कहा है कि जिले के विभिन्न विकास परियोजनाओं, विशेषकर सदर अस्पताल और निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज भवन में कम गुणवत्ता वाले काले फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग किया जा रहा है, जिसकी शिकायतें लगातार मिल रही हैं।
*जांच रिपोर्ट नहीं दिखा पाए अभियंता*
उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल परिसर में निर्माण हो रहे भवनों में लगाए जा रहे ईंटों की गुणवत्ता को लेकर जब भवन निर्माण विभाग के कनीय अभियंता से पूछताछ की गई, तो उन्होंने बताया कि “10 न्यूटन प्रति मिमी स्क्वायर क्रशिंग स्ट्रेंथ” से अधिक गुणवत्ता वाले ईंटों का ही प्रावधान है। लेकिन जब उनसे परीक्षण रिपोर्ट की प्रति मांगी गई, तो उन्होंने दिखाने में असमर्थता जाहिर की।
*मौके पर निरीक्षण और स्थानीय जानकारी*
श्री केशरी ने अस्पताल परिसर में खुद जाकर ईंटों की स्थिति का अवलोकन किया और निर्माण कार्य में लगे कारीगरों से बात की। उन्होंने बताया कि निर्माण स्थल पर रखे गए ईंटों की स्थिति बेहद खराब है, और कारीगरों ने इन्हीं ईंटों से गार्ड भवन व अन्य संरचनाओं के निर्माण की बात स्वीकारी।
*मेडिकल कॉलेज का निर्माण वर्षों से लटका*
बीजेपी नेता ने यह भी उल्लेख किया कि चाईबासा मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऑनलाइन किया गया था और यह योजना फरवरी 2022 तक पूरी होनी थी। लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार अब इसकी नई संभावित पूर्णता तिथि 25 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है। उन्होंने इस देरी के लिए कार्य एजेंसी और अभियंताओं की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।
*निर्माण ईंटों की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल*
श्री केशरी ने कहा कि जिले में काले ईंटों के निर्माण की भरमार है, लेकिन उनकी गुणवत्ता की जांच कोई नहीं करता। उद्योग केंद्र के अधिकारियों ने भी गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि यह स्थिति बनी रही तो जिले की विकास योजनाएं समय से पहले ही जर्जर हो जाएंगी।
*रूंगटा माइंस की ईंट को बताया मानक*
उन्होंने दावा किया कि जिले में “10 न्यूटन प्रति मिमी स्क्वायर क्रशिंग स्ट्रेंथ” मानक के अनुसार सिर्फ रूंगटा माइंस लिमिटेड, चलियामा की ईंटें ही फिट बैठती हैं। उन्होंने उपायुक्त से मांग की है कि जिले के सभी विकास कार्यों में उन्हीं ईंटों का प्रयोग अनिवार्य किया जाए अथवा अन्य ईंटों की गुणवत्ता की प्रयोगशाला जांच कराकर ही उपयोग की अनुमति दी जाए।