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आनंदमूर्ति जी की जयंती पर सेवा और सद्भावना का आयोजन

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

जमशेदपुर। आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी की जयंती के अवसर पर गदरा आनंद मार्ग जागृति सहित जमशेदपुर के विभिन्न धर्म चक्र यूनिटों में श्रद्धा एवं सेवा भाव से विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। गदरा में मुख्य सड़क पर लगभग 500 फलदार पौधे लगाए गए तथा राहगीरों को चना व शरबत वितरित किया गया। तीन घंटे का ‘बाबा नाम केवलम’ अखंड कीर्तन भी हुआ।

 

इस अवसर पर वक्ता सुनील आनंद ने बताया कि श्री श्री आनंदमूर्ति जी का जन्म 1921 में बिहार के जमालपुर में वैशाखी पूर्णिमा के दिन हुआ था। उन्होंने 1955 में आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना कर योग, साधना और समाज सेवा के माध्यम से मानव उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया। उनका मानना था कि हर मनुष्य ‘देव शिशु’ है और उसमें सुधार की संभावना सदैव बनी रहती है।

 

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति intrinsically घृणा योग्य नहीं होता, बल्कि उपयुक्त मार्गदर्शन के अभाव में वह गलत राह पर चला जाता है। आनंदमूर्ति जी का विचार था कि समाज को दंड नहीं, सुधार को प्राथमिकता देनी चाहिए और हर व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास का अधिकार सुनिश्चित करना चाहिए।

 

उनकी विचारधारा ‘नव्य मानवता’ केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं थी, बल्कि उन्होंने पशु, पक्षी, पेड़-पौधों को भी समान भाव से समाज का हिस्सा माना। उनका लक्ष्य विश्व बंधुत्व की भावना पर आधारित एक समरस समाज की स्थापना करना था, जहां प्रेम, करुणा और सहयोग के मूल्यों को सर्वोपरि माना जाए।

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