इतिहास गवाह है जहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा की बात होगी, काँग्रेस पहली पंक्ति में खड़ी होगी,काँग्रेस के खिलाफ बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शहदेव का बयान असहनीय- जम्मी भास्कर*

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर:झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कोल्हान से प्रवक्ता जम्मी भास्कर ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव द्वारा कांग्रेस पार्टी पर लगाए गए निराधार आरोपों का कड़ा खंडन करते हुए कहा कि भाजपा अब राष्ट्रवाद की भावना का केवल राजनीतिक दोहन कर रही है। उनके वक्तव्य तथ्यों से परे, भ्रामक एवं दुर्भावनापूर्ण हैं।
कांग्रेस स्पष्ट करना चाहती है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा और राष्ट्रीय अखंडता के प्रति हमारी निष्ठा अटूट है। भारत के स्वर्णिम इतिहास में जब भी देश को सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता पड़ी, कांग्रेस ने बिना किसी आत्मप्रचार के निर्णायक एवं ऐतिहासिक कदम उठाए। 1971 की विजय और बांग्लादेश के निर्माण में कांग्रेस की निर्णायक भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता।
प्रतुल शाहदेव द्वारा 1972 के शिमला समझौते को लेकर उठाए गए प्रश्न या तो ऐतिहासिक तथ्यों की अज्ञानता को प्रकट करते हैं या जानबूझकर देश की जनता को भ्रमित करने का प्रयास हैं। शिमला समझौता उस समय की भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत की दूरदर्शिता और कूटनीतिक परिपक्वता का परिचायक था, जिसे विश्व समुदाय ने भी सराहा।
जहाँ तक भारतीय सेना के संबंध में उठे विवादों की बात है, कांग्रेस भारतीय सेना के पराक्रम, बलिदान और निष्ठा पर पूर्ण विश्वास रखती है। किंतु यदि सरकार की रणनीतिक असफलता या संवाद की कमी के कारण कोई संदेह उत्पन्न होता है, तो विपक्ष का यह दायित्व बनता है कि वह सरकार से उत्तर मांगे। प्रश्न सेना से नहीं, सत्ता से हैं, और इस मौलिक भेद को जानबूझकर समाप्त करना राष्ट्रहित नहीं, बल्कि राजनीतिक विकृति है।
कांग्रेस यह भी स्पष्ट करना चाहती है कि लोकतंत्र में सवाल उठाना राष्ट्रविरोध नहीं है। असहमति को देशद्रोह कह कर लोकतंत्र की आत्मा का अपमान करना, विचारों की स्वतंत्रता पर आघात है।
भाजपा को यह भी समझना चाहिए कि हर असहमति या आलोचना को ‘पाकिस्तान समर्थक’ ठहराना न केवल दुर्भावनापूर्ण है, बल्कि इससे भारत की वैश्विक लोकतांत्रिक छवि भी धूमिल होती है।
जहाँ तक झारखंड में पाकिस्तानी नागरिकों की उपस्थिति का प्रश्न है, कांग्रेस इस विषय पर राज्य और केंद्र सरकार दोनों से पारदर्शी कार्यवाही की अपेक्षा करती है। किंतु यह भी पूछा जाना चाहिए कि केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियाँ कहाँ थीं? यह दायित्व केवल राज्य का नहीं, बल्कि केंद्र और सुरक्षा तंत्र दोनों का है।
अंत में, कांग्रेस को अपनी देशभक्ति प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं है। हमारी बलिदानी विरासत, नीतियाँ और निर्णय स्वयं इसके साक्षी हैं। आज देश को तर्क, संवेदनशीलता और समाधान की आवश्यकता है— न कि आरोप, विषवमन और भ्रम की राजनीति की।